हाईकोर्ट जस्टिस विशाल मिश्रा की कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट के खिलाफ दर्ज हुई FIR को भी निरस्त कर दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रीवा एसपी को निर्देश दिए हैंए कि फर्जी शिकायत करने वाली महिला के खिलाफ पास्को एक्ट की धारा 22(1) व बीएनएस की धारा 240 व 248 के तहत कार्रवाई की जाए। सीनियर एडवोकेट की ओर से याचिका दायर की गई। उनकी ओर से सीनियर एडवोकेट अनिल खरे, सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ ने पैरवी करते हुए हाईकोर्ट को बताया गया कि जिस महिला ने उनके खिलाफ रीवा के सिविल लाइन और अंतरैला थाने में एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले भी उसने रीवा के अलग-अलग लोगों के खिलाफ अपनी दो बेटियों के माध्यम से शिकायत कर चुकी है। जांच में यह भी पाया गया है कि जिस महिला ने सीनियर एडवोकेट के खिलाफ अपनी दो साल की बच्ची के साथ रेप करने की शिकायत दर्ज करवाई है। वह आदतन ब्लेकमेलर है, जो रुपए के लिए इस तरह का कृत्य करती है।
30 नवंबर 2024, पैरवी से मना किया तो FIR कराने पहुंची-
याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि 15 मई 2024 को शिकायतकर्ता महिला उनके हाईकोर्ट ऑफिस में एक आपराधिक मुकदमा दायर करने के लिए आई थी। जूनियर एडवोकेट ने केस को लिया। मुकदमा तैयार करते समय सीनियर एडवोकेट ने जब रिकॉर्ड का अवलोकन किया तो पता चला कि जो महिला महिला उनके आफिस में केस लेकर आई है। इससे पहले भी उसने कई व्यक्तियों के विरुद्ध शिकायतें की थी। जिसके चलते उन्होंने महिला का केस की पैरवी करने से इनकार कर दिया। इससे नाराज होकर महिला ने 30 नवंबर 2024 को सीनियर एडवोकेट के खिलाफ लज्जा भंग करने की झूठी एफआईआर जबलपुर सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई, जिसे पुलिस ने जांच करने हुए गलत पाया।
23 दिसंबर 2024 FIR कराई, उस दिन सुप्रीम कोर्ट में थे-
महिला ने दूसरी शिकायत रीवा के सिविल लाइन और अंतरैला थाने में सीनियर एडवोकेट के खिलाफ यह कहते हुए कार्रवाई की 20 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट के कोर्ट नंबर 15 के सामने याचिकाकर्ता ने उसकी 2 वर्ष की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। रीवा पुलिस ने सीनियर एडवोकेट के खिलाफ पास्को और अन्य धाराओं के तहत लगाए गए आरोपों को लेकर एफआईआर दर्ज कर जांच में लिया। एफआईआर को लेकर एडवोकेट ने रिट याचिका हाईकोर्ट में दायर की और बताया कि जिस तारीख को महिला उनके ऊपर रेप करने का आरोप लगा रही है, उस दिन वह जबलपुर नहीं सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का पंच कार्ड और फ्लाइट की टिकट भी बतौर सबूत कोर्ट के सामने पेश की।
आदतन FIR कराने की आदि है महिला-
हाईकोर्ट को बताया गया कि इससे पहले भी शिकायतकर्ता महिला ने अपने मकान मालिक के 13 साल के बेटे पर रेप की एफआईआर दर्ज कराई थी। महिला की दो बेटी है एक 12 साल की और दूसरी 2 साल की। बड़ी बेटी ने जब मां की बात मानने से इन्कार कर दिया तो छोटी बेटी की शिकायत को लेकर उपयोग करना शुरू कर दिया। महिला ने अभी तक 6 से अधिक लोगों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवा चुकी है। सीनियर एडवोकेट की तरफ से कोर्ट को बताया कि गया कि जनवरी से वह लगातार ब्लेकमेल कर रही थी।
CCTV से लेकर अन्य साक्ष्य तलाशेए आरोप गलत पाए-
महिला ने सीनियर एडवोकेट पर आरोप लगाया था कि उन्होंने हाईकोर्ट के कोर्ट नंबर 15 के पास उसकी दो साल की बच्ची के साथ रेप किया थाए लिहाजा पुलिस ने हाईकोर्ट के गेट से लेकर आसपास के तमाम सीसीटीवी फुटेज खंगाले, इसके साथ ही गेट पर लगे सुरक्षा कर्मचारियों से भी पूछताछ की। सीनियर एडवोकेट के ऊपर लगे तमाम आरोप गलत पाए। जिसके बाद जस्टिस विशाल मिश्रा की कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट के खिलाफ हुई एफआईआर को निरस्त कर दिया। मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि भविष्य में महिला अगर ऐसी कोई शिकायत करती हैए तो कठोर कार्रवाई करने से पहले प्रारंभिक जांच कर संतुष्टि कर ली जाए।