सिहोरा के 'अभिषेक ब्रदर्स ' पर ' कृषि टीम ' का छापा, महंगे दाम पर बेच रहा था उर्वरक, एफआईआर


जबलपुर।
बारिश के एंड पर खेती-किसानी में इस्तेमाल होने वाले यूरिया उर्वरक की मांग को देखते हुए सिहोरा के अभिषेक ब्रदर्स फर्म ने किसान को लूटना शुरू कर दिया। इस मामले की शिकायत मिलने पर कृषि विस्तार अधिकारी ने मौके का मुआयना किया और पाया कि फर्म से सरकार की गाइडलाइन को दरकिनार कर मनमाने ढंग से उर्वरक का विक्रय किया जा रहा था। कृषि अफसर के प्रतिवेदन पर पुलिस ने फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।

सिहोरा पुलिस ने बताया कि बुधवार रात खितौला निवासी जयपाल सिंह राठौर ने लिखित शिकायत की है कि वह उवर्रक निरीक्षक/वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी सिहोरा में कार्यरत है। मंगलवार को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के निर्देश पर वह एवं नायब तहसीलदार जगभान सिंह उइके के समक्ष कृषक आशीष पटैल निवासी ग्राम अमगवंा को मेसर्स अभिषेक ब्रदर्स सिहोरा के यूरिया उवर्रक की अधिक मूल्य पर बेचे जाने की शिकायत पर कृषक केा सत्यापन हेतु मौके पर यूरिया क्रय करने भेजा। मेसर्स अभिषेक ब्रदर्स सिहोरा द्वारा शासकीय मूल्य रूपये 266.50 से अधिक मूल्य रूपये 375 पर विक्रय करना पाया। इसका भुगतान आनलाईन यूपीआई के माध्यम से किया गया था। इसका पंचनामा राजस्व निरीक्षक नीरज पाटकर एवं कृषि विस्तार अधिकारी शरद कुमार एवं उपस्थित अधिकारियों के समक्ष बनाया गया। 

मेसर्स अभिषेक ब्रदर्स सिहोरा के प्रतिष्ठान का पीओएस मशीन एवं स्कंद का भौतिक सत्यापन किया गया, जिसमें यूरिया एनएफएल पीओएस मशीन में 1.4.85 (33बैग) पायी गयी जबकि भौतिक रूप से 0.3.60 (8 बैग) पाया गया, जो भौतिक रूप से 1.1.25 (25 बैग) कम पाया गया। अन्य उर्वरक इम्पोर्टेट टीएसपी-पीपीएल 15.00 एवं एमओपी आईपीएल-6.5.00 एमएसपी जिकेंटेट दानेदार  आरएमपीसीएल 2-3.0.00 पीओएस मशीन एवं भौतिक रूप से समान पाया गया। जांच टीम द्वारा पंचनामा बनाकर रखी हुयी उर्वरक को जप्ती बनाकर प्रोपराईटर अभिषेक कुमार जैन को सुपुर्दगी दी। सुपुर्दगी उपरांत बिक्री प्रतिबंधित की गयी। उपरोक्त प्रकरण में अभिषेक ब्रदर्स सिहोरा के प्रोपराईटर अभिषेक कुमार जैन द्वारा अधिक मूल्य पर यूरिया (266.50 के स्थान पर 375 प्रति बैग) कृषक को विक्रय करते हुये द्वारा उर्वरक नियंत्रण आदेश का उल्लंघन करना पाये जाने पर  अभिषेक कुमार जैन के विरूद्ध धारा 3(3)(1) उर्वरक (नियंत्रण) आदेश तथा धारा 3, 7 आवश्यक वस्तु अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।  

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