नई दिल्ली. कोरोना वायरस फिर से एशिया में पैर पसारने लगा है. सिंगापुर, हांगकांग और थाईलैंड जैसे देशों में एक बार फिर कोविड-19 के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी देखी जा रही है. इस बार इसकी वजह है ओमिक्रॉन के नए सब-वैरिएंट्स, खासतौर पर JN.1 और उसके सब-वैरिएंट्स जैसे LF.7 और NB.1.8, जो अभी दुनिया भर के दो-तिहाई मामलों में पाए जा रहे हैं.
सिंगापुर में शुरुआती मई 2025 में 14,000 से ज्यादा नए मामले दर्ज हुए हैं, जबकि अप्रैल के आखिरी हफ्ते में यह आंकड़ा 11,100 था. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि अभी तक इन नए वैरिएंट्स के ज्यादा खतरनाक या गंभीर होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन इससे सतर्कता जरूरी हो गई है.
भारत में भी एहतियाती उपाय करना जरूरी
भारत में फिलहाल हालात शांत हैं. 19 मई तक देश में सिर्फ 93 एक्टिव केस दर्ज हैं, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में भी एक नई लहर आ सकती है, क्योंकि यहां भी बड़ी संख्या में लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन लिए काफी समय हो चुका है. इसलिए उनकी इम्युनिटी अब कम हो रही है. भारत को भी अलर्ट मोड में आ जाना चाहिए. चौंकाने वाली बात यह है कि ये लहर गर्मियों में फैल रही है, जबकि आमतौर पर ऐसे वायरस सर्दियों में तेज होते हैं. इससे साफ है कि वायरस ने अब अपने व्यवहार में भी बदलाव किया है.
JN.1 वैरिएंट क्या है?
JN.1, ओमिक्रॉन की BA.2.86 लाइन से निकला वैरिएंट है, जिसे दिसंबर 2023 में WHO ने Variant of Interest घोषित किया था. इसमें 30 से ज्यादा म्यूटेशन हैं, जो इसे इम्यूनिटी से बचने में मदद करते हैं. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, इसमें कुछ और बदलाव भी हुए हैं, जिससे यह पहले से ज्यादा फैलने लगा है.
इसके लक्षण
इस नए वैरिएंट के लक्षण पुराने कोविड लक्षणों जैसे ही हैं, गला खराब होना, बुखार, नाक बहना या बंद होना, सूखी खांसी, थकावट, सिरदर्द और स्वाद या गंध का जाना. कुछ मामलों में बेहद थकावट भी देखी गई है. हालांकि अधिकतर केस हल्के हैं और घर पर इलाज संभव है, लेकिन बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए खतरा बना हुआ है. फिलहाल भारत में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन देश को सजग रहना होगा. टेस्टिंग, वैक्सीनेशन और मास्क जैसे बेसिक उपाय फिर से जरूरी हो सकते हैं, खासतौर पर उन जगहों पर जहां भीड़ ज्यादा होती है.