जबलपुर. अब रेलवे ने ट्रेन चलाने वाले लोको पायलट और उनके साथ रहने वाले सहायक लोको पायलट (एएलपी) को कागजी जिम्मेदारियों से मुक्त करने का निर्णय लिया है। रेल मंत्रालय ने बदलाव किया है, जिससे अब एएलपी को हर स्टेशन का समय अपनी डायरी में दर्ज नहीं करना पड़ेगा। इससे न केवल उनका ध्यान ट्रेन संचालन पर ज्यादा रहेगा, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और सफर का अनुभव भी बेहतर हो सकेगा। इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर जोन सहित सभी रेल जोनों को तत्संबंध में आदेश भेज दिया है.
दरअसल, सहायक लोको पायलट को ट्रेन के गुजरने वाले हर स्टेशन का समय अपनी क्रू डायरी या लॉग बुक में लिखना अनिवार्य होता है। यहीं नहीं बीच के जिन स्टेशनों पर ट्रेन का स्टॉपेज नहीं होता है, उनका समय भी डायरी में नोट करना होता है, लेकिन रेलवे ने इस नियम को बदल दिया है। रेल मंत्रालय ने हाल ही में पमरे के जबलपुर सहित सभी ज़ोन को एक नया परिपत्र भेजा है, जिसमें बताया गया है कि अब एएलपी को सिर्फ उन्हीं स्टेशनों का समय दर्ज करना होगा जहां ट्रेन को रुकना तय है। बीच के स्टेशन, जिन पर ट्रेन नहीं रुकती, उनके समय लिखने की जरूरत नहीं है।
रेलवे के इस नियम में बदलाव के पीछे मंत्रालय की समिति का हवाला दिया गया है कि जिसमें लोको पायलट और एएलपी की गैर जरूरी कागजी जिम्मेदारियों को घटाने के लिए बनाया गया था। समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए रेल मंत्रालय ने फैसला लिया कि ट्रेन चलने के दौरान एएलपी को केवल जरूरी बातें ही लिखनी होंगी। मंत्रालय की नई गाइडलाइन के मुताबिक, अब एएलपी ट्रेन शुरू होने से पहले सिर्फ कुछ जरूरी जानकारियां जैसे इंजन का नंबर, ट्रेन का नंबर, ड्राइवर का नाम और गति से जुड़े दिशा-निर्देश अपनी डायरी में लिखेगा। ट्रेन के चलने के बाद वह सिर्फ निर्धारित स्टॉप वाले स्टेशनों का समय, किसी तकनीकी समस्या या अनियोजित रुकावट की जानकारी दर्ज करेगा।
लोको पायलट को अब ट्रेन की ऊर्जा खपत और रिजनरेशन रीडिंग भी नहीं भरनी होगी, जो पहले सीएमएस में दर्ज करनी पड़ती थी। इससे लोको पायलट की ड्यूटी और भी फोकस हो जाएगी। मंत्रालय ने चालक दल की डायरी और लॉग बुक का नया प्रारूप भी जारी किया है, ताकि ड्राइवरों को समझने में आसानी हो और सभी जोनों में इसका एक जैसा पालन हो सके।
रेलवे के इस फैसले का ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने स्वागत करते हुए कहा कि रेलवे की गति तो बढ़ रही है, लेकिन ड्राइवरों को लगातार काम और दबाव के बीच सुरक्षा का भी ध्यान रखना होता है। हमारी मांग है कि मंत्रालय साप्ताहिक छुट्टी और लगातार दो रात की ड्यूटी से जुड़े मुद्दों को भी जल्द सुलझाया।