आधे घंटे तक नहीं खुला था टॉयलेट, उपभोक्ता आयोग ने यात्री के हक में सुनाया फैसला
भोपाल। रेलवे यात्री सुविधाओं का दावा तो कर रही है लेकिन कई बार सुविधाएं दम निकाल रही हैं। ऐसा ही एक मामला पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल मंडल का सामने आया है, जिसमें त्रिरूक्कुरल सुपरफास्ट एक्सप्रेस के वातानुकूल श्रेणी में सफर कर रहे एक परिवार की महिला टॉयलेट में बंद हो गई। कापफी प्रयासों के बाद भी वह नहीं खुल सका था, आधे घंटे के बाद जैसे-तैसे टॉयलेट खुल सका। परेशान परिवार ने इस मामले को लेकर जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर कर दिया था। आयोग ने यात्री के हक में पफैसला सुनाते हुए रेलवे पर 40 हजार रुपयों को जुर्माना लगाया।
कन्याकुमारी से सफर कर रहे थे दंपति
उपभोक्ता आयोग में शिकायत की थी कि यात्रा के दौरान ट्रेन के दरवाजों में तकनीकी खराबी की वजह से उसकी पत्नी आधे घंटे तक टॉयलेट में बंद रह गई थीं। भोपाल के रविदास नगर के उमेश पांडेय ने जिला उपभोक्ता आयोग में भारतीय रेल प्रबंधक के खिलाफ परिवाद दायर किया था। उपभोक्ता का कहना था कि 20 अप्रैल 2022 को वह त्रिरूक्कुरल एक्सप्रेस से थर्ड एसी में कन्याकुमारी से भोपाल के लिए परिवार के साथ रवाना हुए थे। उनकी बर्थ फटी हुई थी, टॉयलेट की सीट टूटी थी। उनकी पत्नी टॉयलेट गई तो गेट अंदर से लॉक हो गया। उनके पास मोबाइल भी नहीं था। इस कारण वह आधे घंटे तक उसमें बंद रहीं। सहयात्रियों की मदद से उन्हें किसी तरह बाहर निकाला जा सका। उन्होंने रेलवे में ऑनलाइन शिकायत की लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ था।
रेलवे की थी दलील
सुनवाई के दौरान पहले तो रेलवे ने शिकायतकर्ता को यात्री मानने से इनकार कर दिया। फिर तर्क दिया कि टिकट में यात्रा का अधिकार मिलता है, सुविधाओं का नहीं। टॉयलेट की सुविधा निःशुल्क होती है, जिस कारण इस मामले को निरस्त किया जाए। रेलवे ने यह भी कहा कि शिकायत के बाद मदुरई स्टेशन पर मैकेनिक ने टॉयलेट सीट को सुधारने का प्रयास किया था लेकिन उसे निर्धारित समय पर ठीक नहीं किया जा सका और ट्रेन को अधिक देर तक नहीं रोका जा सकता था। इस तर्क को आयोग ने खारिज कर दिया और रेलवे पर सेवा में कमी का हर्जाना लगाया।