सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : वन रैंक, वन पेंशन के तहत सभी सेवानिवृत्त जजों को मिलेगी फुल पेंशन

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में ऐतिहासिक दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत अब सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को एक रैंक, एक पेंशन के सिद्धांत का पालन करते हुए पूर्ण और समान पेंशन का लाभ मिलेगा। इस निर्णय के साथ, सेवानिवृत्ति की तिथि या सेवा में प्रवेश के स्रोत (न्यायिक सेवा या बार) के आधार पर हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की पेंशन में किसी भी तरह के भेदभाव को समाप्त कर दिया गया है।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह महत्वपूर्ण निर्देश पारित किए, जो देश की न्यायिक प्रणाली में पेंशन समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

 मुख्य निर्देश जो बदलेगा पेंशन का गणित

सुको के फैसले से रिटायर जजों के पेंशन ढांचे में कई महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे

-  उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों के लिए केंद्र सरकार अब सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों को प्रति वर्ष 15 लाख रुपए की पूरी पेंशन का भुगतान करेगी।

 - अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए- सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों के अलावा, किसी भी सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को प्रति वर्ष 13.50 लाख रुपए की पूर्ण पेंशन मिलेगी। इसमें वे न्यायाधीश भी शामिल होंगे जो अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं।

-  एक रैंक, एक पेंशन का कड़ाई से पालन- न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए एक रैंक, एक पेंशन के सिद्धांत का कड़ाई से पालन किया जाएगा। इसका अर्थ है कि उनके प्रवेश का स्रोत (जिला न्यायपालिका या बार से) या जिला न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवा के वर्षों की संख्या कुछ भी हो, सभी को पूर्ण पेंशन का भुगतान किया जाएगा।

 -  सेवा में अंतराल के बावजूद पूर्ण पेंशन- यदि कोई सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय का न्यायाधीश पहले जिला न्यायाधीश के रूप में सेवा दे चुका है, तो जिला न्यायपालिका के न्यायाधीश के रूप में उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण करने की तिथि के बीच सेवा में किसी भी तरह के अंतराल के बावजूद, भारत सरकार उन्हें पूर्ण पेंशन का भुगतान करेगी।

 - एनपीएस/सीपीएस योगदान का रिफंड- उन सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के मामले में, जिन्होंने जिला न्यायाधीश के रूप में सेवा की है और अंशदायी पेंशन योजना या नई पेंशन योजना लागू होने के बाद जिला न्यायपालिका में प्रवेश किया था, उन्हें भी पूरी पेंशन मिलेगी। इसके अतिरिक्त, राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे एनपीएस में उनके द्वारा योगदान की गई पूरी राशि को लाभांश के साथ वापस करें।

 - सेवा के दौरान मृत्यु पर पारिवारिक पेंशन- भारत सरकार ऐसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की विधवा या परिवार के सदस्यों को पारिवारिक पेंशन का भुगतान करेगी, जिनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई हो, चाहे वह न्यायाधीश स्थायी न्यायाधीश हो या अतिरिक्त न्यायाधीश।

 स्वत: संज्ञान और कानूनी आधार

पीठ ने न्यायाधीशों के सेवानिवृत्ति लाभों के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए ये निर्देश पारित किए। इसके साथ ही, पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा दायर की गई कुछ रिट याचिकाओं पर भी विचार किया गया। निर्णय सुनाते हुए, सीजेआई बी.आर. गवई ने बताया कि पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 221 और उच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा शर्तें) अधिनियम 1954 के प्रावधानों की गहन जांच की है।

न्यायालय ने विशेष रूप से कहा कि जिला न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्ति की तारीख और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की तारीख के बीच सेवा में अंतराल के आधार पर पेंशन में कमी नहीं की जा सकती है। यह फैसला सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के लिए एक बड़ी राहत है और न्यायपालिका में समानता और गरिमा सुनिश्चित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा

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