ग्वालियर. कर्मचारियों, अधिकारियों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। प्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट ने फैमिली पेंशन पर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि मृत सरकारी कर्मचारी, अधिकारी के विवाहित पुत्र का पेंशन पाने का अधिकार समाप्त नहीं किया जा सकता। शादीशुदा होने पर भी बेटे की फैमिली पेंशन नहीं रोकी जा सकती। नियमों के अनुसार कर्मचारी, अधिकारी पुत्र को 25 वर्ष की उम्र तक फैमिली पेंशन मिलेगी, चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित। ऊर्जा विभाग के एक कर्मचारी की मृत्यु के बाद परिवार पेंशन के एक केस में हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया।
नीरज केवट के पिता गंगाराम केवट ऊर्जा विभाग में लाइन हेल्पर थे। उनकी मृत्यु के बाद नीरज ने परिवार पेंशन के लिए आवेदन किया था। विभाग ने पेंशन मंजूर तो की, लेकिन आदेश में शर्त जोड़ी कि शादी करने पर पेंशन बंद कर दी जाएगी। इसी शर्त को चुनौती देते हुए नीरज ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता की ये थी दलील
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में बताया कि नियम 47(6), मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम, 1976 के अनुसार पुत्र के लिए विवाह पेंशन रोकने का आधार नहीं है। शर्त केवल पुत्री पर लागू होती है। वहीं विभागीय अधिकारियों ने हाईकोर्ट को बताया कि दस्तावेजों के अनुसार नीरज विवाहित प्रतीत होता है और इसलिए स्पष्टीकरण मांगा गया। हालांकि कोर्ट ने इसे कानून के विपरीत बताया और कहा कि विवाह पेंशन रोकने का वैध कारण नहीं है। फैमिली पेंशन को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने यह अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने विभाग की शादी संबंधी शर्त को नियम-विरुद्ध करार देते हुए नीरज केवट को फैमिली पेंशन के लिए पूरी तरह पात्र बताया। उन्हें फैमिली पेंशन राशि देने का आदेश दिया।
