जबलपुर। वाहन निर्माण, जबलपुर (वीएफजे) के स्टेडियम में 4 हाईमास्ट लगाने में ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसमें ठेकेदार और फैक्ट्री प्रशासन की संाठगांठ करके सरकार के राजस्व को चूना लगाया है। हाईमास्ट लगाने का काम अधूरा छोड़ दिया गया है और उसका भुगतान ठेकेदार को कर दिया गया है। ऐसे हालात में शार्ट सर्किट से करंट फैलने की आशंका बनी हुई है। फैक्ट्री प्रबंधन गोलमोल तरीके से दलील देते हुए कह रहा है कि काम के समय तार जोड़ दिए जाते हैं।
वीएफजे में स्टेडियम में हाईमास्ट लगाने का काम भोपाल के ठेकेदार मेसर्स कमल किशोर गर्ग को दिया गया था। वर्क आर्डर में टेक्नीकल एक्जामिनर डीजीएम प्रणव प्रियंक ने किया था। डीजीएम डीएन कौशल ने वर्कऑडर स्वीकृत किया था। वर्कऑडर में लागत 1,31,99,450 तय थी। हाईमास्ट लगाने के लिए 17 दिसंबर 24 तक अंतिम तिथि दी गई थी।
जंक्शन बॉक्स गायब
मौजूदा हालात यह हैं कि स्टेडियम परिसर में स्थापित की गई हाईमास्ट लाइटनिंग अरेंजमेंट में लैंप के नीचे जंक्शन बॉक्स ही नहीं लगाए गए हैं, जबकि वर्क ऑडर में स्पष्ट लिखा था कि मास्ट स्थापित किए जाने के साथ ही उसकी सुरक्षा को देखते हुए जंक्शन बॉक्स लगाए जाने थे। इसमें यह भी सामने आया है कि ग्राउंड फिटिंग में भी खानापूर्ति की गई है, जिसमें कई जगहों पर वायरिंग का केबिलीकरण नहीं किया गया है।
ऑफ दी रेकार्ड
वीएफजे के सूत्रों का कहना है कि हाईमास्ट स्थापित करने के दौरान तकनीकी सामग्री में जंक्शन बॉक्स आए ही नहीं थे, जिससे इन्हें स्थापित नहीं किया गया है। उधर, यह भी सामने आया है कि जब इस जगह पर तकनीकी विशेषज्ञों की नजर पड़ी तो उन्हें समझ में आया कि इसमें अर्थिंग नहीं जोड़ी गई है। लिहाजा, आनन-फानन में बारिश के बाद इसमें अर्थिंग जोड़ी गई है। उधर, प्रबंधन दावा कर रहा है कि ट्रॉली आने के दौरान वे तार जोड़ लेते हैं, जिससे बड़ा हादसा हो सकता था।
तुगलकी बयान...!
- हां, ठेकेदार को वर्कऑडर के आधार पर भुगतान कर दिया गया है। जरूरत पड़ने पर तार जोड़ लेते हैं।
अरविंद पटेल, जेडब्ल्यूएम, वीएफजे

