बीएलओ ऐपः पिता-दादा पर राजी, पर चाचा-ताउ में एरर

 


एसआईआर के दौरान तकनीकी समस्या से जूझ रहा अमला, चुनाव आयोग तक पहुंची रिपोर्ट

जबलपुर। पूरे जिले में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के तहत मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य 4 नवंबर से शुरू हो गया है। लेकिन बीएलओ एप में तकनीकी समस्याएं आ रही हैं। एप में किसी मतदाता का नाम 2003 की लिस्ट में न होने पर ब्लड रिलेशन जोड़ना जरूरी है, पर इसमें केवल ‘पिता’ और ‘दादा’ की सुविधा है। ‘चाचा’ या ‘ताऊ’ जोड़ने पर सिस्टम इसे अमान्य बता रहा है। नतीजा यह हुआ कि अॉफलाइन फॉर्म भरे जा रहे हैं, लेकिन अॉनलाइन एंट्री नहीं हो पा रही है। 

-दस्तावेज सही, पर डेटा मिस्मैच

एप में एक और तकनीकी परेशानी यह है कि 40 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं के लिए भी सिस्टम पिता और दादा का नाम स्वीकार नहीं कर रहा। कई बीएलओ ने बताया कि सिस्टम “डेटा मिसमैच’ दिखा देता है, जबकि दस्तावेज सही होते हैं। इससे वेरिफिकेशन प्रक्रिया घंटों तक अटक रही है। बीएलओ ने बताया कि हम घर-घर जाकर गणना पत्रक (एन्युमेरेशन फॉर्म) भरवा रहे हैं, लेकिन एप में अपलोड नहीं कर पा रहे। जब डेटा अपलोड करने की कोशिश करते हैं, तो ‘रिलेशन लिंकिंग एरर’ दिखाता है। एक अन्य समस्या यह है कि एप से वर्ष 2003 की वोटर लिस्ट का लिंक खोलने पर बार-बार एरर आता है। कई बार साइट खुल भी जाती है, लेकिन डेटा फेच नहीं हो पाता। महिला वोटर के लिए यदि पत्नी का नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं है, तो सिस्टम उसे पति से नहीं बल्कि उसके पिता के नाम से लिंक करने का विकल्प देता है। इससे कई महिलाएं परेशान हैं। उन्हें यह तक नहीं पता चल पा रहा कि उनके पिता का नाम पुराने रिकॉर्ड में किस फॉर्मेट में दर्ज था।

-आयोग को दी है जानकारी

सर्वे के दौरान ऐप को लेकर आ रहीं तकनीकी समस्याओं से चुनाव आयोग को अवगत करा दिया गया है। 

राघवेंद्र सिंह, कलेक्टर

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