सरकार ने कॉल किये टेंडर, पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने कवायद
जबलपुर। शहर में सार्वजनिक परिवहन को पर्यावरण-अनुकूल और आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने जबलपुर के लिए 200 ई-बसों के संचालन को मंजूरी दे दी है। विशेष बात यह है कि 100 बसों के संचालन के लिए आवश्यक टेंडर भी मंजूर कर दिया गया है। नगर निगम ने इनका संचालन नए साल के शुरुआती महीनों में शुरू करने की योजना बनाई है। प्रदेश के आठ प्रमुख नगर निगमों—भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, देवास और सतना को कुल 972 ई-बसों की मंजूरी दी गई है। इनमें से जबलपुर को 200 बसें मिलेंगी। पहली खेप में 100 ई-बसें पुराने डीज़ल बस बेड़े को प्रतिस्थापित करते हुए शहर भर में चलने लगेंगी। शेष 100 बसें चरणबद्ध तरीके से बाद में संचालित होंगी।
शहर में बनेगा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और डिपो सुविधाएँ
ई-बसों के संचालन के लिए चार्जिंग स्टेशनों और बस डिपो की अधोसंरचना तैयार की जा रही है। केंद्र सरकार नगर निकायों को 60% और राज्य सरकार 40% लागत वहन करेगी। इलेक्ट्रिक बसों के लिए आवश्यक चार्जिंग पॉइंट, पार्किंग और रखरखाव सुविधाएँ शहर के निर्धारित बस स्टैंड और डिपो क्षेत्रों में विकसित की जा रही हैं। अधिकारियों के अनुसार, ई-बसें माइलेज, आराम, क्षमता और निर्बाध संचालन की दृष्टि से डीज़ल बसों की तुलना में बेहतर साबित होंगी। इन बसों में जीपीएस, लाइव ट्रैकिंग, आधुनिक टिकटिंग सिस्टम और एसी जैसी सुविधाएँ भी होंगी।
डीजल से इलेक्ट्रिक की ओर बदलाव, प्रदूषण में कमी होगी
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि ई-बसें आने से न केवल यात्रियों को बेहतर सेवा मिलेगी, बल्कि शहर का पर्यावरण भी साफ होगा। डीज़ल बसों से होने वाले धुएँ के उत्सर्जन में भारी कमी होगी। केंद्र और राज्य सरकारों का उद्देश्य इन बसों के जरिए सार्वजनिक परिवहन को सुरक्षित, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल बनाना है। ई-बसों के परिचालन से पेट्रोल–डीजल पर निर्भरता भी घटेगी और शहर के व्यस्त रूटों पर यातायात व्यवस्था सुधरेगी। उम्मीद है कि 2025 की शुरुआत में पहली 100 बसें शहर की सड़कों पर दौड़ती दिखेंगी।
