नई दिल्ली. वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को 2025 का प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है. उन्हें यह सम्मान अपने देश में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए दशकों तक चली उनकी निडर लड़ाई के लिए मिला है. वेनेजुएला में तानाशाही के खिलाफ़ आवाज़ उठाने और संकट से जूझ रहे देश को नैतिक नेतृत्व देने के लिए दुनिया ने उन्हें सलाम किया है. वहीं नोबेल पुरस्कार पाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पिछले कुछ समय में जितने भी प्रयास किये गये, वह सब बेकार गये.
मारिया कोरिना मचाडो को वेनेजुएला की आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता है. वह पिछले 14 महीनों से भी ज़्यादा समय से छिपी हुई हैं. उन्होंने राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की चुनावी जीत को मानने से इनकार कर दिया था, जिस चुनाव की अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी आलोचना की थी. अमेरिका समेत ज़्यादातर वेनेजुएला के लोग भी मादुरो के शासन को वैध नहीं मानते, क्योंकि उन पर पिछले दो चुनावों में धांधली करने का आरोप है.
तमाम धमकियों, चुनाव लडऩे से रोके जाने और आवाज़ दबाने की कोशिशों के बावजूद मचाडो डटी रहीं. वह लगातार देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग करती रहीं, लोगों को एकजुट करती रहीं और मानवाधिकारों के हनन के मामलों को दुनिया के सामने लाती रहीं. वह अपने देश की एक नैतिक आवाज़ बनकर उभरी हैं. भले ही वह छिपी हुई हैं, लेकिन वह आज भी अपने देश में कानून के राज और स्वतंत्र चुनाव के लिए काम कर रही हैं. सरकार ने उन पर कई तरह की पाबंदियाँ लगाई हैं और विरोध की आवाज़ को बेरहमी से कुचला है, लेकिन उनका संघर्ष जारी है.
इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी चर्चा में था, क्योंकि उन्होंने इस साल गाजा युद्धविराम समेत कई शांति समझौतों में अहम भूमिका निभाई. हालांकि, 2025 के पुरस्कार के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी थी. ट्रंप के इस साल के कामों को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए विचार किया जाएगा.