कायदों को ताक पर रख हो रहा नर्मदा का सीना छलनी, मशीनों से कर रहे उत्खनन,भंडारण पर भी किसी की नजर नहीं
जबलपुर। सैकड़ों शिकायतों के बाद भी रेत माफिया पर कार्रवाई न होना आश्चर्यजनक तो है ही,उससे ज्यादा ये शर्मनाक है। माफिया ने सब कुछ अपने घेरे में ले लिया है।सबको जबान बंद करने का हिस्सा दिया जा रहा है और नर्मदा का सीना बेधड़क छलनी किया जा रहा है। बैठकों में बड़े-बड़े अधिकारी बार-बार कह रहे हैं कि अवैध उत्खनन रोका जाए,लेकिन ये धंधा रुकने के बजाए और तेजी से फल-फूल रहा है। बड़े अधिकारियों को भी जमीनी सच्चाई का इल्म नहीं है या फिर वे उसे देखना ही नहीं चाहते,क्योंकि इस काले कारनामे राजनीति के बड़े नाम शरीक हैं।
-अमला किसी को रिपोर्ट नहीं करता
खनिज विभाग को अवैध रेत उत्खनन की कितनी शिकायतें मिली और किन पर कार्रवाई हुई और कार्रवाई में क्या हासिल हुआ,इसकी रिपोर्ट किसी को नहीं दी जाती और ना ही खनिज विभाग से ऐसी रिपोर्ट कभी मांगी गयी। अवैध उत्खनन की शिकायत पर कार्रवाई करने गया अमला मौके पर पहुंचकर ही तय करता है कि कार्रवाई की जानी है या फिर लीपापोती। ऐसे एक, दो नहीं, सैकड़ों मामले हैं,जिनमें अमले ने शुरुआती कार्रवाई में अवैध उत्खनन से एकदम इंकार कर दिया था,लेकिन जब ऊपर से प्रेशर आया तो रेत और मशीनों की जब्ती कर वाहवाही भी लूट ली।
-सेटिंग से सब है मुम्किन
नर्मदा नदी से रेत के अवैध खनन का कारोबार और तेजी से फल फूल रहा है और यह सब हो रहा है नेता, अधिकारी और माफिया की मिली भगत से। जिस माइनिंग विभाग पर अवैध खनन को रोकने की जिम्मेदारी है, वही माइनिंग विभाग के अधिकारी इन रेत माफियाओं के साथ सांठगांठ कर कर इस अवैध कारोबार को फलने फूलने में मदद कर रहे हैं।
-पहले विरोध करते थे,अब साथ हैं
मध्य प्रदेश की प्रमुख नर्मदा नदी और जिले की प्रमुख नदी हिरन नदी में सबसे ज्यादा रेत का अवैध खनन चल रहा है। दरअसल अब तक कई नेता ऐसे थे जो इस अवैध खनन का विरोध करते थे। लेकिन अब वही नेता इन माफिया के साथ मिली भगत करके इसी अवैध खनन को अंजाम देने में लगे हैं। यही नहीं कुछ माफिया तो पुराना स्टॉक भी चोरी कर कर बेचने का काम कर रहे हैं। खनिज विभाग का जांच दल हो या फिर उड़न दस्ता दोनों ही अवैध रेत का खनन करने वाले माफिया पर कार्रवाई करने से बच रहे हैं या यूं कहे कि उन्हें शह दे रहे हैं।
