अधीक्षक भू-अभिलेख का दबदबा बढ़ा !, बनें तहसीलदार, मिला मजिस्ट्रे्ट का पावर


जबलपुर।
मध्यप्रदेश के भू-अभिलेख और राजस्व विभाग के शीर्ष अफसरों को तहसीलदार का पद दे दिया गया है। इन्हें कार्यपालिक मजिस्ट्रे्ट का पावर भी दे दिया है। यह बदलाव ग्वालियर स्थित कार्यालय संयुक्त आयुक्त, भू.संसाधन प्रबंधन, मध्य प्रदेश द्वारा 23 अक्टूबर को जारी एक आधिकारिक आदेश के माध्यम से किया गया है। इससे राज्य शासन ने भू-संसाधन प्रबंधन विभाग के फील्ड पदों का पुनर्गठन करते हुए उन्हें सीधे राजस्व अधिकारियों के समकक्ष कर दिया है। जारी आदेश में समस्त कलेक्टरों, उप आयुक्तों भू-अभिलेख, राज्य स्तरीय प्रशिक्षण संस्थान, पटवारी प्रशिक्षण शालाओं तथा अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस बदलाव के अनुसार आवश्यक संशोधन करें ताकि प्रशासनिक स्तर पर किसी प्रकार का भ्रम न हो। 

यह बदलाव

इस महत्वपूर्ण प्रशासनिक फेरबदल के तहत दो प्रमुख पदों के नाम और उनकी आधिकारिक पहचान बदल दी गई है। 

- अधीक्षक भू.अभिलेख को अब तहसीलदार के रूप में जाना जाएगा।

- सहायक अधीक्षक भू.अभिलेख को अब नायब तहसीलदार के रूप में जाना जाएगा।

(यह निर्णय मध्य प्रदेश राजपत्र भाग 1 में 12 सितंबर को प्रकाशित शासन आदेश के संदर्भ में लिया गया है, जो भू-अभिलेख और सहायक भू-अभिलेख के संवर्गों को राजस्व विभाग के संवर्गों में समाहित करने के लिए था।)

ये होंगे पावर

- इस पुनर्गठन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि नए नाम वाले इन अधिकारियों को कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के पावर दिए गए हैं। 

- तहसीलदार पूर्व अधीक्षक भू.अभिलेख को कार्यपालिक मजिस्ट्रेट घोषित किया गया है।

- नायब तहसीलदार पूर्व सहायक अधीक्षक भू.अभिलेख को भी कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के रूप में घोषित किया गया है।

- कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की शक्ति मिलने से ये अधिकारी अब राजस्व और भू.अभिलेख से संबंधित विवादों और प्रशासनिक मामलों में त्वरित निर्णय लेने तथा शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकृत होंगे।

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