जबलपुर के सामाजिक प्रमुखों के साथ रोज बैठक करेंगे संघ प्रचारक


आरएसएस की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक की तैयारियां अंतिम चरण में, विविध भाषा-भाषाई समूह में प्रभाव बढ़ाने की कवायद,संघ की टीम लोकल लेवल पर संपर्क अभियान में जुटी

जबलपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तीन दिनी अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक में जबलपुर के अलग-अलग सामाजिक प्रमुखों से संघ के प्रचारक बैठक करेंगे और भविष्य को लेकर चिंतन-मनन करेंगे। माना जा रहा है कि ऐसा करने से संघ अपने प्रभाव को और विस्तारित कर सकेगा। बहरहाल, जबलपुर के विजयनगर स्थित कचनार क्लब मंे कार्यक्रम की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। 

-ऐसी है कार्यक्रम की रूपरेखा 

 संघ की 28 अक्टूबर से कचनार सिटी विजय नगर में बैठक प्रारंभ होगी। अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक 30, 31 अक्टूबर व 1 नवंबर को आयोजित है। जिसमें देश भर से करीब 500 संघ पदाधिकारियों के शामिल होने का अनुमान है।  इस बैठक में संघ के सरसंघचालक डा मोहन  भागवत,  सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले तथा सभी छह सह सरकार्यवाह एवं अन्य अखिल भारतीय कार्य विभाग प्रमुखों सहित कार्यकारिणी के सदस्य भी उपस्थित रहेंगे।  अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल में संघ रचना के सभी 46 प्रांतों के प्रांत संघचालक, कार्यवाह तथा प्रचारक एवं सह प्रांत संघचालक, कार्यवाह तथा प्रचारक अपेक्षित रहते हैं। बैठक में सभी प्रांत अपनी शताब्दी योजनाओं के संदर्भ में विस्तृत वृत्त एवं विवरण प्रस्तुत करेंगे। वर्तमान समय के समसामयिक विषयों पर उपस्थित कार्यकर्ताओं द्वारा व्यापक विचार-विमर्श भी बैठक का महत्वपूर्ण हिस्सा रहेगा। 

-सामाजिक ताने-बाने के लिहाज से क्यों अहम है जबलपुर

 जबलपुर में  करीब 14-15 राज्यों के लोग निवास करते हैं। ये तथ्य जबलपुर को कई मायनों में संघ के लिए अहम बनाता है।  इस बैठक के लिए स्थानीय स्तर पर संघ के प्रतिनिधियों ने समाज के लोगों के साथ संपर्क स्थापित किया है। इसमें बंगाली,उड़िया, उत्तराखंड गढ़वाली,गुजराजी, महाठी, कश्मीरी, तमिल,तेलुगू, मलायम, पंजाबी, पूर्वाचल, भोजपुरी, उप्र-बिहार आदि क्षेत्रों के निवासियों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है। अभी बंगाली समाज जिसके करीब एक लाख से ज्यादा लोग जबलपुर में निवासरत हैं उनके साथ भी बैठक तय हुई है। इसी तरह उड़िया समाज के दस हजार से अधिक लोग निवासरत है। पंजाबी समाज के भी एक लाख से अधिक लोग निवास करते हैं। इसके अलावा सिंधी, उत्तराखंड, तमिल और तेंलुगूं समाज के भी 25-30 हजार लोग निवासरत हैं। 


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