जबलपुर। मप्र में अब केवल ई.स्टाम्प ही लागू होंगे, पंजीयन विभाग द्वारा राज्य सरकार को भेजे गये इस प्रपोजल के बाद स्टाम्प से जुड़े कई तरह के गणित बदल जाएंगे। जबलपुर जिले में रोजाना करीब आठ सौ मैन्युअल स्टाम्प की बिक्री होती है। ये स्टाम्प 10,20,50 और 100 रुपये के होते हैं। इस श्रेणी के स्टाम्प बेंचने वाले वेंडर इनकी कीमत बढ़ाकर वसूलते हैं। ई-स्टाम्प से जहां एक ओर वेंडरों की वसूली पर रोक लगेगी,लेकिन गैरजानकार लोग अभी भी इनके चंगुल में फंसेंगे,क्योंकि वंेडर अब ई-स्टाम्प निकालने के नाम पर वसूली करेंगे।
-अभी वक्त लगेगा
जानकारों का मानना है कि विभाग ने अव्वल तो ये निर्णय लेने में काफी देर कर दी, दूसरे इस फैसले को अमलीजामा पहनाने में सरकार को वक्त लगेगा,क्योंकि कई एक चीजों को पूरी तरह से बदलना होगा। उल्लेखनीय है कि 100 रुपए से ऊपर के मैनुअल स्टाम्प 2015 में ही बंद किए जा चुके हैं,अब सरकार की मंशा है कि सारे स्टांप ई-फॉर्मेट में आ जाएं। बताया गया है कि सरकार के इस निर्णय से 126 साल पुराने स्टांप अब हाथों हाथ नहीं मिल सकेंगे। नई व्यवस्था से सरकार को मैनुअल स्टाम्प की छपाई, परिवहन और सुरक्षा व्यवस्था पर सालाना खर्च होने वाले करीब 34 करोड़ रुपए की बचत होगी। अभी 100 रुपए से नीचे के स्टाम्प की छपाई नीमच और हैदराबाद प्रेस में होती है। यहां से स्टाम्प को विभिन्न हिस्सों में भेजने के लिए परिवहन व सुरक्षा व्यवस्था करनी पड़ती है।
-रुकेगा फर्जीवाड़ा और रजिस्टियों के घोटाले
दावा किया जा रहा है कि ई-स्टाम्पिंग से फर्जीवाड़ा और दोहरी बिक्री जैसी शिकायतों पर अंकुश लगेगा। मैनुअल स्टाम्प किरायानामा,एफिडेविट,सेल एग्रीमेंट, नॉन.ज्यूडिशियल डॉक्यूमेंट्स एवं पॉवर ऑफ अटॉर्नी जैसे सैकड़ों कामों के लिए लोगों को रोज मैनुअल स्टाम्प की जरूरत पड़ती है। अब बैंकों या अधिकृत केंद्रों पर जाकर आसानी से ई-स्टाम्प मिल जाएगा।
वर्जन
बदलाव से अच्छा असर पड़ेगा
सभी दर्जे के स्टाम्प को ई-फॉर्मेट में लाने से निश्चित तौर पर बदलाव होगा,जो सकारात्क होगा। हालाकि, इसको लागू होने में समय लगेगा और आम आदमी को ई.स्टाम्प सुलभ हो सके, इसका इंतजाम भी करना होगा। नई जनरेशन के लिए ये व्यवस्था अधिक उपयोगी होगी।
डॉ. पवन कुमार अहिरवाल,जिला पंजीयक,जबलपुर
