भोपाल. मध्य प्रदेश में मोहन कैबिनेट संपन्न हो गई। बैठक में भावांतर योजना को मंजूरी मिलने, पेंशनर्स को छठवें और सातवें वेतनमान लाभ देने समेत कई अहम फैसलों पर निर्णय लिए गए। बता दें कि प्रदेश सरकार की भावांतर योजना सोयाबीन के उत्पादक किसानों के लिए शुरू की गई है। जिसकी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जारी है।
कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि बैठक में किसानों के हित को महत्व दिया गया है। भावांतर योजना को स्वीकृति दी गई है। इस योजना के तहत सोयाबीन का एमएसपी 5000 रुपए से बढ़ाकर 5328 रुपए किया गया है। ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके। इसके लिए प्रदेश के मॉडल रेट निकाले जाएंगे, मॉडल रेट पर कम भाव मिलने पर उसके अंतर की राशि भावांतर योजना के तहत किसानों को सरकार की ओर से दी जाएगी। यह राशि सिंगल क्लिक पर किसानों के खातों में भेजी जाएगी।
कोदो-कुटकी की खेती को प्रोत्साहन
मंत्री ने बताया कि एक समय में कोदो-कुटकी का भाव 1 रुपए से 2 रुपए किलो मिलता था। लेकिन पीएम मोदी ने इसके दाम बढ़ा दिए हैं। इसकी खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। कोदो-कुटकी की फसल का उत्पादन एमपी के 11 जिलों के किसान करते हैं। वर्तमान में कुटकी का भाव 35000 रुपए प्रति क्विंटल है और कोदो की कीमत 2500 रुपए प्रति क्विंटल है। इसके साथ ही श्रीअन्न फेडरेशन बनाने का निर्णय भी कैबिनेट बैठक में लिया गया है। कोदो-कुटकी की वेल्यू एडिशनल के लिए काम करेगी। सही मूल्य मिले, इसके लिए 80 करोड़ रुपए की राशि बिना ब्याज दी है। फेडरेशन की ओर से प्रमोशन और मार्केटिंग के लिए राशि दी गई है।
एमएसएमई के लिए 150 करोड़ की मंजूरी
सूक्ष्म-लघु उद्योग के लिए 105 करोड़ स्वीकृत किए है। छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए यह राशि उत्पादकों की क्वालिटी सुधारने, देश मार्केट की स्थिति, एक्सपोर्ट पर खर्च किए जाएंगे
राज्य के पेंशन कर्मचारियों को मिलेगा छठवें, सातवें वेतनमान का लाभ
इसके अलावा मोहन कैबिनेट में पेंशनर्स के लिए भी बड़ा फैसला लिया गया। इसके तहत अब राज्य के पेंशन कर्मचारियों को मिलेगा छठवें और सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए 70 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है। इससे 1.5 लाख पेंशनर्स को लाभ मिलेगा।
रेशम समृद्धि योजना की राशि बढ़ाई
एमपी कैबिनेट बैठक में रेशम समृद्धि योजना के तहत राशि बढ़ाई गई है। इसे 5 लाख रुपए किया गया है। बता दें कि पहले राज्य सरकार प्रति एकड़ लागत के रूप में 3.65 लाख रुपए देती थी।
