जबलपुर। पूर्वजों से जुड़ी कथाओं में पितृपक्ष पर कौओं का विशेष महत्व है। कौए खासतौर पर इन दिनों दिखाई देते हैं और उसके बाद साल भर तक इक्का-दुक्का ही नजर आते हैं। ये कौए कहां चले जाते हैं ?, क्या ये इन्ही दिनों दिखाई देते हैं? ये ऐसे सवाल हैं, जिनके बारे में विशेषज्ञों की दलील है कि कौओं की संख्या पहले से कम होती जा रही है। उधर, कौओं को लेकर सोशल मीडिया में एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला कौओं की आवाज निकालती है और कुछ ही देर में कौओं का जमघट हो रहा है। इस वीडियो की 'खबर अभी तक ' पुष्टि नहीं करती है। वीडियो में यह सामने आ रहा है कि महिला से पूछा गया है कि वे क्या कौओं की बुला सकती हैं। महिला जवाब दे रही है कि हां बुलवा लेती हैं। और फिर उसके बाद महिला ने कौओं की आवाज निकालनी शुरू कर दी। सच, मानिए वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि महिला द्वारा निकाली गई आवाज सुनते ही एक-एक करके भारी संख्या में कौए आवाज करते हुए आसमान में मंडराने लगे।
मिलती-जुलती आवाज
वन्य प्राणियों के जानकार राजीव पारेख ने बताया कि हर पशु-पक्षी की आवाज में भले ही आप समझ नहीं सकते हैं लेकिन वे आवाज निकालकर अपने साथियों तक संदेश पहुंचाते हैं। महिला के द्वारा निकाली जाने वाली आवाज भी इससे मिलती-जुलती होगी, जो उसके आवाज निकालते ही कौए एकत्र हो जाते हैं।
पूर्वजों से नाता
पंडित कामता तिवारी का कहना है कि महिला के द्वारा निकाली जाने वाली आवाज पर कौए एकत्र हो रहे हैं, जिससे यह जाहिर हो रहा है कि उस पर पूर्वजों की कृपा है। वरना यह संभव नहीं है कि आवाज निकालने के साथ ही इतने कौए एकत्र हों।