रीवा। सावन माह के दूसरे सोमवार को रीवा शहर स्थित महामृत्युंजय मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन और जलाभिषेक के लिए मंदिर पहुंचने लगे। किला परिसर के प्रवेश द्वार से लेकर मंदिर तक श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं। शाम 4 बजे तक करीब 10 हजार से अधिक भक्त भोलेनाथ के दर्शन कर चुके थे।
1001 छिद्रों वाला दुर्लभ शिवलिंग
यह मंदिर अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां स्थित सफेद रंग का शिवलिंग 1001 सूक्ष्म छिद्रों वाला हैए जो दुनिया में अपनी तरह का एकमात्र शिवलिंग माना जाता है। खास बात यह है कि यह शिवलिंग मौसम के अनुसार अपना रंग बदलता है। कहा जाता है कि रीवा रियासत की स्थापना के पीछे भगवान महामृत्युंजय की अलौकिक शक्ति का हाथ है। एक मान्यता के अनुसार बांधवगढ़ के राजा एक बार शिकार के लिए इस क्षेत्र में आए थे। उन्होंने देखा कि एक शेर चीतल का पीछा कर रहा है लेकिन जैसे ही वह मंदिर स्थल के पास पहुंचा वह शिकार किए बिना लौट गया। यह देखकर राजा चकित रह गए और इस स्थान की खुदाई करवाई। वहां से भगवान महामृत्युंजय का यह विशेष शिवलिंग प्रकट हुआ। तभी से यहां मंदिर का निर्माण कराया गया और पूजा-अर्चना शुरू हुई।
शिव की आराधना महामृत्युंजय रूप में होती है-
हालांकि मध्यप्रदेश में उज्जैन का महाकालेश्वर और अन्य प्रमुख शिव मंदिर प्रसिद्ध हैंए लेकिन महामृत्युंजय मंदिर को विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि यहां शिव की आराधना महामृत्युंजय रूप में होती हैए जो दुर्लभ है। मंदिर के मुख्य पुजारी वनस्पति तिवारी का कहना है कि सुबह 4 बजे मंदिर के पट खोल दिए गए थे। दिनभर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ बनी रही।