भोपाल. मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से सटे सागर व दमोह में स्थित का वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व अब तेंदुए और बाघों के बाद चीतों के लिए भी उपयुक्त माना जा रहा है. खबर है कि अगले साल से इस पर काम शुरू हो जाएगा. चीता प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी डब्ल्यूआईआई देहरादून ने यहां का निरीक्षण किया है. देश के जिन दो जगहों को चिन्हित किया है, उनमें से एक रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व भी है. अगर ऐसा होता है तो 10 साल पुरानी संकल्पना सरकार की हकीकत बन सकती है.
बता दें कि भारत में चीतों की बसाहट के लिए जब साल 2014 में प्रोजेक्ट शुरू किया गया था, तो सबसे पहले नौरादेही को एक्सपर्टों ने पसंद किया था और वहां उसी समय से विस्थापन की प्रक्रिया में तेजी शुरू हुई थी. नए प्रोजेक्ट के अनुसार अगर यहां पर चीतों की बसाहट होती है, तो वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व देश ही नहीं, एशिया का पहला ऐसा वाइल्डलाइफ एरिया होगा, जहां बिग कैट फैमिली के तीन सदस्य एक साथ देखने को मिलेंगे.
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
अभी रिजर्व में टाइगर और तेंदुए की बसाहट है. चीतों के आने से इस परिवार की तीन प्रजातियां हो जाएंगी. ऐसा होने पर वन्य जीव प्रेमियों की संख्या में यहां पर इजाफा होगा. टूरिस्ट के लिए भी यह पहली पसंद बन सकता है. टूरिज्म को बढ़ावा मिलने से लोगों के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और इस क्षेत्र का भी तेजी से विकास देखने को मिलेगा.
तीन रेंज का दौरा किया
टाइगर रिजर्व में चीतों की शिफ्टिंग के लिए तैयारी लगभग शुरू हो गई है. पिछले हफ्ते एनटीसीए के डीआईजी डॉ. वीबी माथुर और डब्ल्यूआईआई के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक सागर पहुंचे थे. उन्होंने टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी के साथ वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की तीन रेंज – मुहली, झापन और सिंहपुर का दो दिन तक मैदानी मुआयना किया. जानकारों के अनुसार ये तीनों रेंज चीता की बसाहट के लिए अनुकूल जगह हैं. यहां लंबे-लंबे मैदान हैं, जिनमें ये जीव दौड़-दौड़कर शिकार कर सकेंगे. इन तीनों रेंज का क्षेत्रफल करीब 600 वर्ग किलोमीटर है.