नई दिल्ली. अप्रैल महीने में थोक महंगाई 2.05% से घटकर 0.85% पर आ गई है। ये महंगाई का 13 महीनों का निचला स्तर है। इससे पहले मार्च 2024 में महंगाई 0.53 प्रतिशत पर थी। वहीं फरवरी 2025 की महंगाई दर को सरकार ने संशोधित किया है। इसे 2.38 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.45 प्रतिशत कर दिया गया है। रोजाना की जरूरत के सामान और खाने-पीने की चीजों की कीमतों के घटने से महंगाई घटी है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आज यानी 14 मई को ये आंकड़े जारी किए।
डेली के सामान, खाने-पीने की चीजें सस्ती
रोजाना की जरूरत वाले सामानों (प्राइमरी आर्टिकल्स) की महंगाई 0.76
% से घटकर -1.44 प्रतिशत हो गई।
खाने-पीने की चीजों (फूड इंडेक्स) की महंगाई 4.66 प्रतिशत से घटकर 2.55 प्रतिशत हो गई।
फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर 0.20 प्रतिशत से घटकर -2.18 प्रतिशत रही।
मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 3.07 प्रतिशत से घटकर 2.62 प्रतिशत रही।
होलसेल प्राइस इंडेक्स का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए डबलूपीआई को कंट्रोल कर सकती है।
जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। डबलूपीआई में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।