नई दिल्ली। आजकल ज्यादातर लोग यूपीआई पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं। समय समय पर इसके नियमों में भी कई बड़े बदलाव किए जाते हैं, जिसका असर सीधे जनता पर पड़ता है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने एक नया सर्कुलर जारी किया है; इसके तहत बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स से यूपीआई नेटवर्क पर 10 सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेसपर सीमा तय करने और उनके सही इस्तेमाल को सुनिश्चित करने को कहा गया है। इन यूपीआई में बैलेंस इन्क्वारी, ऑटो.पे मैनडेट पूरा करना और ट्रांजेक्शन स्टेटस चेक करना आदि शामिल हैं।
एनपीसीआई के मुताबिक 1 अगस्त 2025 से यूपीआई यूजर्स एक दिन में प्रत्येक ऐप पर सिर्फ 50 बार ही अपना बैलेंस चेक कर पाएंगे। दरअसल, बार.बार ऐसी रिक्वेस्ट्स यूपीआई नेटवर्क पर दबाव बढ़ाती हैं और सिस्टम डाउन होने का खतरा रहता है। यही वजह है कि बदलाव किया जा रहा है। नए दिशानिर्देश इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस साल मार्च से कई यूपीआई आउटेज की खबरें सामने आई हैं। जारी सर्कुलर में कहा गया कि यूपीआई ऐप्स में पीक आवर्स में लोड कम करने के लिए बैलेंस इन्क्वारी रिक्वेस्ट्स को सीमित या बंद करने की क्षमता होनी चाहिए।
अब सिर्फ नॉन-पीक आवर्स में ही होंगे प्रोसेस
सर्कुलर में ये भी कहा गया कि सभी नॉन.कस्टमर.इनिशिएटेड यूपीआई को पीक आवर्स में प्रतिबंधित करना होगा। पीक आवर्स को दिन में सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक डिफाइन किया गया है। एनपीसीआई यूसेज गाइडलाइंस के मुताबिक बैंकों को निर्देश दिया है कि वे हर फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के बाद यूजर के अकाउंट में उपलब्ध बैलेंस की जानकारी दें।