जबलपुर । आज से शहर के सभी सरकारी डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं । इस हड़ताल का असर सीधे मरीज पर दिखाई दे रहा है। एक तरफ जबलपुर सहित पूरे मप्र के डॉक्टर्स अपनी मांगों को पूरा कराने हड़ताल पर चले गए हैं तो वहीं दूसरी तरफ अस्पतालों में मरीज अस्पतालों इधर से उधर भटक रहे है। इस दौरान जबलपुर मेडिकल कालेज के लगभग 350, जिला अस्पताल के 180 डॉक्टरों ने काम बंद कर हड़ताल कर दी है। हड़ताल पर गए डॉक्टरों का कहना है कि निश्चित रूप से हमारे हड़ताल पर जाने से मरीजों को खासा परेशानी हो रही है लेकिन हम मजबूर हैं क्योंकि राज्य सरकार ने हमसे वादा करके वादाखिलाफी की थी इसलिए हम ना चाहते हुए भी हड़ताल पर जा रहे हैं।
मप्र के डॉक्टरों की हालत सबसे बदतर
हड़ताल के बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा पत्रकार वार्ता कर चर्चा की गई। इस दौरान आईएमए जबलपुर के अध्यक्ष डॉ. अमरेंद्र पाण्डे ने कहा कि प्रदेश के डॉक्टरों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। मजबूरन वश होकर आज डॉक्टरों को हड़ताल की ओर जाना पड़ा है। श्री पाण्डे के मुताबिक प्रदेश के डॉक्टरों की हालत भारत में सबसे अधिक खराब है। यहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं तक नहीं दी जा रही है। वहीं एक तरफ विधायक एवं सांसदों को 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद आजीवन पेंशन उपलब्ध कराई जाती है। तो वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर अपने जीवन का पूरा हिस्सा मरीजों की देखभाल में लगा देता है। इसके बाद भी सरकार द्वारा उनकी पेंशन बंद कर दी गई है। वहीं चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि हड़ताल के बावजूद भी गरीब वर्ग के लोगों का इलाज डॉक्टरों द्वारा प्राथमिकता से किया गया है। वहीं अगर जरूरत पड़ी तो आईएमए के भवन में ही गरीब मरीजों के उपचार की व्यवस्था कराई जाएगी। पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कहा गया कि डॉक्टर्स अब तक मानवता के नाम पर चुप रहे। जिसका फायदा उठाया जाता रहा। लेकिन हड़ताल होने के बावजूद भी अंत्यत गंभीर मरीजों को डॉक्टर्स द्वारा प्राथमिकता से देखा गया है। इस दौरान डॉक्टर शामिख रजा सहित अन्य डॉक्टर उपस्थित रहे।
हाईकोर्ट ने काम पर लौटने दिए निर्देश
मप्र में जारी डॉक्टरों की हड़ताल को हाईकोर्ट ने अवैध ठहराते हुए सख्ती से निर्देश दिए हैं कि जितने भी डॉक्टर हड़ताल पर हैं वह तुरंत ही अपने काम पर वापस लौटे। हाईकोर्ट ने डॉक्टरों को यह भी निर्देश दिए हैं कि आगे से बिना अनुमति के कोई भी डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जाएगा। डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर यह याचिका जबलपुर निवासी इंद्रजीत कुमार पाल सिंह ने हाईकोर्ट में दायर की थी। डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए प्रदेश भर के डॉक्टरों को निर्देश दिए हैं कि जितने भी डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं वह तुरंत ही अपने अपने काम पर लौटे। हाईकोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों की इस हड़ताल को पूरी तरह से अवैध करार दिया गया है। याचिकाकर्ता इंद्रजीत कुमार पाल सिंह के वकील संजय अग्रवाल ने हाईकोर्ट को बताया कि अचानक से ही डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के चलते स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो जाती है जिसके चलते मरीजों को खासा परेशान होना पड़ता है। हाईकोर्ट ने डॉक्टरों को यह भी निर्देश दिए हैं कि टोकन स्ट्राइक पर भी डॉक्टर नहीं जाएंगे। हालांकि डॉक्टरों की स्ट्राइक को लेकर शासन की ओर से अभी कोर्ट को किसी भी तरह का जवाब नहीं दिया गया है ।