डेटा सुरक्षा पर गंभीर सवाल बरकरार: शिक्षकों का दावा,निजी संस्था कर रही संवेदनशील डेटा एकत्र
जबलपुर। मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लागू ई-अटेंडेंस ऐप 'हमारे शिक्षक' के विरोध में दायर बहुचर्चित याचिका में बुधवार को हाई कोर्ट में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया। 27 शिक्षकों द्वारा दायर यह याचिका जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ के समक्ष वापस ले ली गई। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि वर्तमान याचिका में कई मुद्दे अव्यवस्थित और व्यापक रूप से दर्ज हैं। इस पर याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कोर्ट से आग्रह किया कि उन्हें याचिका वापस लेने और नए तथ्यों व स्पष्ट तर्कों के साथ फ्रेश पिटिशन (नई याचिका) दाखिल करने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए यह स्पष्ट किया कि अब ऐप के नियमों की जांच नए आधारों पर ही होगी। शिक्षकों ने घोषणा की है कि वे गुरुवार को नए सिरे से याचिका दायर करेंगे।
डेटा कलेक्शन पर गंभीर आपत्ति
याचिकाकर्ताओं ने ई-अटेंडेंस ऐप की डेटा सुरक्षा पर गंभीर आपत्तियां दर्ज कराई थीं। उनका मुख्य सवाल यह था कि यह ऐप सरकार के बजाय एक निजी संस्था द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिससे शिक्षकों का संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा इस निजी संस्था तक पहुँच रहा है। वकीलों ने यह भी बताया कि ऐप में लगातार तकनीकी खामियां बनी हुई हैं और यह केंद्र के निजी डेटा सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करता। अदालत को यह भी अवगत कराया गया कि प्रदेश में 5-6 शिक्षकों के बैंक खातों से रकम निकालने और निजी डेटा लीक होने की घटनाएं सामने आई हैं। डीपीआई ने इन घटनाओं की पुष्टि करते हुए शिक्षा अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश भी जारी किए हैं।
सरकार का पक्ष
सरकार ने अपने जवाब में दावा किया कि ई-अटेंडेंस प्रणाली सही साबित हुई है, ऐप के लिए डेटा सेफ्टी सर्टिफिकेट लिया जा चुका है, और अधिकांश शिक्षक बिना किसी परेशानी के उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। हालांकि, याचिका वापस लिए जाने के बाद यह पूरा विवाद अब एक बार फिर हाई कोर्ट की गहन जांच के दायरे में आ गया है।
