जबलपुर। संस्कारधानी अब अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के साथ-साथ उभरते हुए हिप-हॉप टैलेंट के लिए भी पहचानी जा रही है। शहर के युवा आर्टिस्ट अभिनव चौधरी व शुभम यादव, जो इंटरनेट की दुनिया में 'रैपर मौड़ा' के नाम से मशहूर हो रहे हैं, अपने अनूठे बुंदेलखंडी रैप के जरिए छाए हुए हैं। उनके गानों में स्थानीय बोली और आधुनिक संगीत का ऐसा तालमेल है कि हर तरफ उनकी चर्चा हो रही है।
बोली और बीट्स का संगम: खास है अंदाज़?
अक्सर रैप संगीत में पश्चिमी प्रभाव देखा जाता है, लेकिन अभिनव-शुभम ने अपनी जड़ों को प्राथमिकता दी है। उन्होंने बुंदेलखंडी और जबलपुरिया लहजे को अपना मुख्य आधार बनाया है। उनके गानों के बोल स्थानीय युवाओं की रोजमर्रा की जिंदगी और शहर के गौरव को दर्शाते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनके वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिससे उन्हें एक बड़ी फैन फॉलोइंग मिली है।
छोटे शहर से निकले बड़े सपने
इस सफलता को जबलपुर में पनप रहे एक पूरे 'अंडरग्राउंड रैप कल्चर' की जीत मानी जा रही है। 'रैपर मौड़ा' यह साबित कर रहे हैं कि अगर प्रतिभा हो, तो क्षेत्रीय भाषा कभी बाधा नहीं बनती। स्थानीय लोग दोनों को खूब सपोर्ट कर रहे हैं, क्योंकि उनके गानों में मिट्टी की खुशबू और अपनापन झलकता है। जानकारों का मानना है कि ऐसे कलाकार न केवल लोक संस्कृति को नई पहचान दिला रहे हैं, बल्कि छोटे शहरों के युवाओं के लिए सफलता के नए रास्ते भी खोल रहे हैं।
