रिटायर कर्मचारी की ग्रेच्युटी से वसूली पर हाईकोर्ट सख्त

 


60 दिन में तर्कसंगत निर्णय दें, गलत पाए जाने पर ब्याज सहित लौटाएँ राशि

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रिटायर आई-असिस्टेंट से ग्रेच्युटी में से की गई 2,15,555 रुपये की वसूली को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट आदेश दिया है कि रायसेन के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी 60 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता के लंबित प्रतिनिधित्व पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के फैसलों के परिप्रेक्ष्य में तर्कसंगत निर्णय लें। यदि वसूली गलत पाई जाती है तो रकम 6% वार्षिक ब्याज सहित 30 दिनों के भीतर वापस की जाए। याचिकाकर्ता, जो वर्ष 2022 में आई-असिस्टेंट पद से सेवानिवृत्त हुए थे, ने बताया कि 2023 में बिना कोई कारण दिए या सुनवाई का अवसर दिए अचानक ग्रेच्युटी से 2,15,555 रुपये  काट लिए। उनके अनुसार यह वसूली वेतन पुनर्निर्धारण से हुई कथित अतिरिक्त राशि से जुड़ी बताई जा रही है। जस्टिस मनिंदर एस. भट्टी की एकलपीठ ने कहा कि अधिकारी के पास लंबित याचिकाकर्ता का आवेदन अब भी अनिर्णीत है। कोर्ट ने मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी किए

रिटायरमेंट के बाद इस प्रकार की वसूली कानूनन अवैध है।

याचिका में दलील दी गई कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध निर्णय स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की फुल बेंच के आदेश का खुला उल्लंघन है। इन फैसलों में स्पष्ट निर्देश हैं । वर्ग–3 और वर्ग–4 कर्मचारियों से रिटायरमेंट के बाद वसूली नहीं की जा सकती, जब तक कि कर्मचारी द्वारा धोखाधड़ी या गलत जानकारी देने का प्रमाण न हो।


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