एसईसीएल, ठेका कंपनी और प्रशासन से जवाब तलब,कई विभागों को नोटिस
जबलपुर। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने शहडोल जिले में बिना सुरक्षा मानकों का पालन किए खदान में मिट्टी डालने से ट्रिपर चालक की मौत के मामले में गंभीरता दिखाते हुए भारत सरकार, एसईसीएल प्रबंधन, ठेका कंपनी आरकेटीसी, थाना प्रभारी धनपुरी, कलेक्टर शहडोल और डीजीएमएस जबलपुर को नोटिस जारी किया है। अदालत ने सभी पक्षों से विस्तृत जवाब मांगा है। याचिका मऊगंज के ग्राम खजुरहन निवासी आरती कुशवाहा द्वारा दायर की गई है। उनके अधिवक्ताओं मनोज कुशवाहा और कौशलेंद्र सिंह ने दलील दी कि 11 अक्टूबर 2025 को अमलई ओसीएम, सोहागपुर एरिया में याचिकाकर्ता के पति अनिल कुशवाहा, जो आरकेटीसी कंपनी में ट्रिपर हाइवा चालक थे, की मौत प्रबंधन की लापरवाही के चलते हुई। घटना वाले दिन तेज बारिश के बावजूद उन्हें खदान में मिट्टी डालने भेजा गया था।
खदान 15 साल से बंद
खदान 15 वर्ष पहले बंद हो चुकी थी और 90 फुट गहरी खाई में बारिश का पानी भरा था। मिट्टी की सतह कमजोर होने के कारण ट्रिपर वाहन सहित वे नीचे गिर गए। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने 72 घंटों तक रेस्क्यू चलाया, जिसके बाद उन्हें मृत घोषित कर प्रमाण पत्र दिया गया। याचिका में आरोप लगाया गया कि खदान को कोयला उत्पादन के बाद क्लोजर प्लान के अनुसार बंद नहीं किया गया। सुरक्षा उपाय नहीं अपनाए गए और धनपुरी पुलिस ने केवल मामूली धाराओं में एफआईआर दर्ज की। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से माइनिंग एक्ट के तहत जांच, 40 लाख मुआवजे का भुगतान, दोषियों पर कठोर कार्रवाई और बंद खदानों को नियमों के तहत सुरक्षित रूप से बंद करने की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
