जबलपुर. पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार 19 दिसम्बर की देर शाम पकड़ा गया फर्जी असिस्टेंटे लोको पायलट (एएलपी) दरअसल आईआईटी का स्टूडेेंट है, वह अपने रिश्तेदारों, मित्रों, परिचितों को रेलवे में नौकरी लगने का रौब गांठने के लिए यह गोरखधंधा शुरू कर दिया. हालांकि आरोपी देव शर्मा का कहना है कि उसे रेल इंजिन चलाने की चाह थी, इसलिए ऐसा किया। आरपीएफ ने उसे पकड़ाकर जीआरपी के हवाले कर दिया है.
पकड़े गए युवक का नाम देव शर्मा (20 वर्ष) है, जो वीर सावरकर वार्ड जबलपुर का निवासी है। पूछताछ में उसने बताया कि उसे इंजन चलाना सीखने का शौक था, इसी वजह से उसने सहायक लोको पायलट बनकर स्टेशन आना शुरू किया। आरपीएफ ने आरोपी के खिलाफ रेल अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।
रेलवे की सुरक्षा में बड़ी सेंध, फाग डिवाइस, वॉकी-टॉकी और झंडी बरामद
आरपीएफ कोआरोपी की तलाशी लेने पर उसके पास से लोको पायलट को दिए जाने वाले फाग डिवाइस, ट्रेन संचालन में उपयोग होने वाला वॉकी-टॉकी, साथ ही लाल और हरी झंडी बरामद की है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी यह सभी उपकरण मुख्य स्टेशन स्थित लोको पायलट लॉबी से इश्यू करवाता था। रेल संचालन से जुड़े जो उपकरण आरोपी के पास से मिले है, वह रेलवे की सुरक्षा में गंभीर सेंध माना जा रहा है.
शंटर से विवाद से खुलासा
इस मामले का खुलासा आरोपी देव शर्मा की हरकतों से हुआ है. मुख्य रेलवे स्टेशन पर लोको पायलट लॉबी के पास खड़ा था। उसने नीली पेंट और आसमानी रंग की शर्ट पहन रखी थी और हाथ में फाग डिवाइस व वॉकी-टॉकी था। वह शंटिंग में लगे एक शंटर से बातचीत करने लगा। बातचीत के दौरान उसके हाव-भाव और तकनीकी जानकारी में कमी देखकर शंटर पायलट को शक हुआ। कुछ विभागीय सवाल पूछे जाने पर युवक घबरा गया और सही जवाब नहीं दे सका। इसके बाद लॉबी कर्मचारियों को सूचना दी गई, जिस पर आरपीएफ मौके पर पहुंची और युवक को पकड़ लिया गया।
काफी समय सेॅ एएलपी का स्वांग कर रहा था
आरपीएफ पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि वह कई दिनों से सहायक लोको पायलट की तरह ड्रेस पहनकर स्टेशन आता था। उसे लॉबी से उपकरण इश्यू कराने की जानकारी रेलवे के एक लोको प्वाइंटमैन से मिली थी। वह सुबह लॉबी पहुंचकर उपकरण लेता और शाम को वापस जमा कर घर चला जाता था। शुक्रवार को भी उसने दोपहर में उपकरण इश्यू कराए थे और रात को वापस जमा करने आया था, तभी उसकी सच्चाई सामने आ गई।
लॉबी की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल, निजीकरण से हाल बेहाल
इस घटना के बाद रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था, खासकर लोको पायलट लॉबी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। लॉबी में सहायक लोको पायलट को परिचालन उपकरण जारी करने का कार्य एक निजी कंपनी की दो महिला कर्मचारी संभाल रही थीं। आरोप है कि वे उपकरण जारी करते समय किसी भी कर्मचारी का पहचान पत्र नहीं देखती थीं और सिर्फ यूनिफॉर्म के आधार पर उपकरण दे देती थीं। आरोपी ने इसी सुरक्षा चूक का फायदा उठाया। श्रमिक संगठनों का मानना है कि रेल संचालन से जुड़े विभागों में काफी काम आउट सोर्स में दिया गया है, जिसका हश्र इसी तरह की घटनाओं से सामंने आने लगा है, आने वाला समय और भी खराब है.
