कुटुम्ब न्यायालय के फैसले को पलटा, पति की दलीलें मानीं सही
जबलपुर। हाई कोर्ट की युगलपीठ,न्यायमूर्ति विशाल धगट और न्यायमूर्ति बीपी शर्मा ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि विवाह के समय गंभीर बीमारी छिपाना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। इसी आधार पर अदालत ने पति द्वारा दायर विवाह विच्छेद की मांग स्वीकार कर ली।
क्या है ये पूरा मामला
मामला मंडला निवासी डॉ. महेंद्र कुशवाहा से संबंधित है, जिन्होंने कुटुम्ब न्यायालय द्वारा विवाह विच्छेद याचिका खारिज किए जाने पर हाई कोर्ट की शरण ली थी। उनकी ओर से दलील दी गई कि विवाह के बाद ही पत्नी के मिर्गी रोग से पीड़ित होने का पता चला, जिसकी जानकारी विवाह पूर्व ससुराल पक्ष ने जानबूझकर छिपाई थी। बाद में जब बार-बार दौरे पड़ने लगे तो सच्चाई सामने आई, लेकिन पत्नी और मायकेवालों ने बीमारी स्वीकार करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने यह गंभीर आरोप भी लगाया कि पत्नी ने अत्यधिक मीठा खिलाकर उन्हें और उनकी मां को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। इन परिस्थितियों को मानसिक उत्पीड़न बताते हुए उन्होंने विवाह विच्छेद की मांग की थी। हाईकोर्ट ने उपलब्ध तथ्यों और पति की दलीलों को विश्वसनीय पाया और माना कि जानकारी छिपाना तथा बाद के आचरण मानसिक क्रूरता के दायरे में आता है। इसी आधार पर अदालत ने विवाह विच्छेद स्वीकार करते हुए कुटुम्ब न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया।
