आवारा कुत्तों से बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा शिक्षकों पर, सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद बढ़ी नाराज़गी,संगठन बोला, आदेश से खराब होगी छवि
जबलपुर। शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों के बाद आवारा कुत्तों को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें स्कूल परिसर से कुत्तों को भगाने की जिम्मेदारी सीधे शिक्षकों पर डाल दी गई है। आदेश में कहा गया है कि यदि कोई आवारा कुत्ता किसी छात्र को काट लेता है, तो इसकी जिम्मेदारी शिक्षक पर तय होगी और कार्रवाई भी उन्हीं पर होगी।
इस आदेश ने शिक्षकों में भारी रोष पैदा कर दिया है। उनका कहना है कि पढ़ाई, रिकॉर्ड मेंटेनेंस, सर्वे, विभिन्न योजनाओं की जिम्मेदारी पहले ही अधिक है, अब कुत्तों को भगाने का जिम्मा देना शिक्षण कार्य को कमजोर और शिक्षकों की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला निर्णय है। प्रदेशभर में यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि कई स्कूल ऐसे हैं जहां सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है। जबलपुर में 125 प्राइमरी और मिडिल स्कूल बिना बाउंड्री के हैं। शिक्षकों का कहना है कि बिना चारदीवारी वाले स्कूलों में बच्चों को सुरक्षित रखना कठिन है, और इसमें शिक्षकों की जवाबदारी तय करना न्यायसंगत नहीं है।
स्कूलों के लिए नई व्यवस्था, नोडल शिक्षक की नियुक्ति और चिकित्सा समन्वय
निर्देशों के अनुसार प्रत्येक स्कूल में एक शिक्षक को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा, जो परिसर की सफाई, कुत्तों को हटाने की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था के प्रभारी होंगे। स्कूलों को स्थानीय सरकारी अस्पताल से एंटी रेबीज वैक्सीन और इम्युनोग्लोबुलिन के लिए समन्वय भी करना होगा। इसके अलावा स्कूलों में बाउंड्री वॉल निर्माण को भी अनिवार्य रूप से सूचीबद्ध किया गया है। छात्रों और कर्मचारियों को कुत्ते के काटने की स्थिति में प्राथमिक उपचार, तत्काल रिपोर्टिंग और सुरक्षा उपायों की जानकारी देना स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी होगी। मप्र शिक्षक संगठन के अध्यक्ष उपेन्द्र कौशल ने आदेश को शिक्षकों की छवि खराब करने वाला बताया और कहा कि आवारा मवेशियों को पकड़ना नगर निगम की जिम्मेदारी है, न कि शिक्षकों की। संगठन ने मामले में आपत्ति दर्ज कराने की बात कही है।
