शंकराचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि पूजन-पाठ व धार्मिक परंपराओं में शासन का हस्तक्षेप उचित नहीं है। उन्होंने ने चेतावनी दी कि सनातन धर्म को कमजोर करने के प्रयास लगातार हो रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक हिंदू समाज धर्म का पालन नहीं करेगा। तब तक मंदिरों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती। कार्यक्रम के दौरान अग्नि अखाड़ा के पीठाधीश्वर स्वामी रामकृष्णानंद महाराज ने भी मंच से सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हिंदू हितैषी सरकार होने के बावजूद गाय को अभी तक राष्ट्रमाता का दर्जा नहीं मिला है। स्वामी रामकृष्णानंद ने आरोप लगाया कि जब संत समाज धर्म और गाय संरक्षण जैसे मुद्दे उठाता है, तो उसे राजनीतिक रंग दे दिया जाता है। दोनों संतों ने राजनीतिक दलों पर संत समाज में मतभेद पैदा करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि धर्म की एकता ही सनातन की वास्तविक शक्ति है।