सागर पुलिस पर अवैध कारोबार संरक्षण का आरोप, अखबार भी बनेगा पक्षकार

 


हाईकोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो–ऑडियो तलब किए, अखबार को भी बनाया जाएगा पक्षकार

जबलपुर। सागर जिले के चार पुलिस थानों में अवैध शराब, ड्रग्स और स्पा सेंटरों में देह व्यापार को संरक्षण देने से जुड़े सनसनीखेज खुलासे पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को गंभीर रुख अपनाया। 30 नवंबर 2025 को प्रकाशित एक प्रमुख समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार पर दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए खंडपीठ,न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति रामकुमार चौबे ने स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित सभी वीडियो एवं ऑडियो रिकॉर्डिंग अदालत में पेश करने के निर्देश दिए। साथ ही, समाचार प्रकाशित करने वाले अखबार को भी पक्षकार बनाने का आदेश जारी किया गया है। अदालत ने साफ किया कि जिन पर कानून बचाने की जिम्मेदारी है, उन्हीं पर अवैध गतिविधियों को संरक्षण देने के आरोप अत्यंत गंभीर हैं और इसकी गहन जांच आवश्यक है।

स्टिंग में खुलासा,थाने से शराब की सप्लाई, पुलिस की मदद से ड्रग्स और देह व्यापार

समाचार पत्र द्वारा खबर में दावा किया गया था कि सागर के गोपालगंज, मकरोनिया, मोतीनगर और बहेरिया थानों के टीआई कथित तौर पर अवैध शराब और ड्रग्स की सप्लाई में शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार मोतीनगर थाने से एक नाबालिग द्वारा पत्रकार को ड्रग्स की 15 पुड़िया उपलब्ध कराई गईं। वहीं निगम कार्यालय के समीप स्थित स्पा सेंटर में “पुलिस संरक्षण” में देह व्यापार संचालित होने का खुलासा भी किया गया था।इन खुलासों के आधार पर यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस ने जनहित याचिका (WP 47116/2025) दायर की, जिस पर कोर्ट ने स्टिंग सामग्री का रिकॉर्ड तलब किया है। अगली सुनवाई 12 दिसंबर 2025 को होगी।

दूसरी याचिका में पत्रकारों ने सुरक्षा मांगी

सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के वकील को ज्ञात हुआ कि स्टिंग करने वाले तीन पत्रकारों ने भी एक अलग याचिका (WP 47545/2025) दायर की है। इसमें उन्होंने अपने खिलाफ पुलिस प्रताड़ना, झूठे मुकदमे दर्ज किए जाने, कॉल डिटेल और आईडीपीआर खंगालने की आशंका जताई है। पत्रकारों का कहना है कि उन पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है, इसलिए हाईकोर्ट सीबीआई या एसआईटी के जरिए जांच करवाए और सुरक्षा प्रदान करे। इन सभी याचिकाओं में सागर जिले के एसपी, आईजी सहित चारों थाना प्रभारियों को नामजद किया गया है। पत्रकारों की ओर से अधिवक्ता पुष्पेंद्र कुमार शाह और वरुण ठाकुर ने पैरवी की। अदालत की अगली सुनवाई इस हाई–प्रोफाइल मामले में आगे की दिशा तय करेगी।

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