कर्मचारियों में नाराज़गी, रियायती दरें खत्म होने की आशंका
जबलपुर। पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर रेल मंडल में स्थित डीआरएम कार्यालय की स्टाफ कैंटीन को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया तेज हो गई है। रेलवे सूत्रों के अनुसार बीते कुछ दिनों से इस बदलाव की सक्रिय तैयारी चल रही है। स्टाफ कैंटीन में कार्यरत कर्मचारियों को मेडिकल परीक्षण के लिए रेलवे अस्पताल भेजा जाना भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है।
रियायती दरें बंद होने की आशंका, कर्मचारियों में रोष
अब तक यह स्टाफ कैंटीन रेलवे कर्मचारियों को बेहद रियायती दरों पर चाय, नाश्ता और भोजन उपलब्ध कराती थी। गुणवत्तापूर्ण भोजन और सस्ती दरों के कारण न केवल कर्मचारी, बल्कि आसपास के लोग और कभी–कभार यात्री भी यहां भोजन करते थे। कर्मचारियों का कहना है कि यदि कैंटीन निजी हाथों में जाती है, तो रियायती दरें समाप्त हो जाएंगी और भोजन के भाव बढ़ जाएंगे। इसके साथ ही गुणवत्ता नियंत्रण भी चुनौती बन सकता है, क्योंकि निजी संचालन में रेलवे प्रशासन का सीधा हस्तक्षेप कम हो जाएगा। रेलवे कर्मचारियों में यह भी चर्चा है कि कैंटीन के निजीकरण के बाद यहां कार्यरत कर्मियों को हटाया जा सकता है या उनकी तैनाती अन्य विभागों में की जा सकती है। मेडिकल परीक्षण इसी दिशा में एक शुरुआती कदम माना जा रहा है।
-गुपचुप जारी है प्रक्रिया
सूत्रों के मुताबिक, कैंटीन के 16 कर्मचारियों का 1 दिसंबर से मेडिकल परीक्षण कराया जा रहा है, ताकि आगे की प्रक्रिया लागू की जा सके। हालांकि रेलवे प्रशासन ने अभी तक निजीकरण पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन स्टाफ के बीच इस फैसले को लेकर असंतोष स्पष्ट दिखाई दे रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि निजी हाथों में संचालन जाने पर उन्हें मिलने वाली सुविधाएँ, रियायतें और सुरक्षा खत्म हो सकती हैं।
