बेलबाई बैगा रिश्वत मामला: जांच में आरोप निकले निराधार, किसी अन्य के कहने पर की थी शिकायत
जबलपुर। जबलपुर जिले की कुंडम तहसील से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहाँ प्रशासनिक अधिकारियों पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप जाँच के बाद पूरी तरह खोखले साबित हुए। बेलबाई बैगा नामक महिला, जिसने सोशल मीडिया और जनसुनवाई के माध्यम से पटवारी और तहसील कार्यालय पर 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था, जाँच के दौरान अपने ही आरोपों से पलट गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि बेलबाई उन चेहरों को भी नहीं पहचान सकी जिन पर उसने पैसे लेने का इल्जाम लगाया था। कलेक्टर राघवेंद्र सिंह के निर्देश पर एसडीएम कुंडम प्रगति गणवीर द्वारा की गई जाँच में सामने आया कि यह पूरी शिकायत एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी। जब बेलबाई को तहसील में वर्तमान और पूर्व में पदस्थ रहे तहसीलदारों, पटवारियों और बाबुओं की तस्वीरें दिखाई गईं, तो वह किसी की भी शिनाख्त नहीं कर पाई। उसने अपनी पहचान न कर पाने की मजबूरी 'कमजोर नजर' को बताया, जबकि उसके पुत्र राजेन्द्र प्रसाद ने स्पष्ट स्वीकार किया कि उन्होंने किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को पैसे नहीं दिए हैं।
लाल सिंह बघेल के कहने पर की थी शिकायत, महिला को नहीं पता क्या लिखा था
जाँच में यह तथ्य उभरकर आया कि बेलबाई बैगा ने खुद यह शिकायत नहीं की थी, बल्कि उसे मोहरा बनाया गया था। बेलबाई ने अपने बयानों में स्वीकार किया कि उसने लाल सिंह बघेल नाम के एक व्यक्ति के उकसावे पर यह कदम उठाया था। महिला ने बताया कि उसे यह तक नहीं पता था कि शिकायत पत्र में क्या लिखा है; उसने केवल उस व्यक्ति के कहने पर अपने अंगूठे का निशान लगा दिया था। असल में, जिस जमीन के नामांतरण (टिकरिया ग्राम की 0.18 हेक्टेयर भूमि) के नाम पर रिश्वत का शोर मचाया गया था, उसका फौती नामांतरण वर्ष 2021 में ही संपन्न हो चुका था। महिला और उसके पुत्र को इस बात की पूरी जानकारी थी। वहीं, उनकी दूसरी जमीन (ग्राम नारायणपुर) के नामांतरण के लिए उन्होंने आज तक आवेदन ही नहीं दिया था। इस खुलासे ने स्पष्ट कर दिया कि प्रशासन की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से एक निरक्षर महिला का सहारा लेकर झूठी कहानी रची गई थी।
प्रशासनिक चूक: तत्कालीन पटवारी पर गिरी गाज
भले ही रिश्वत के आरोप झूठे निकले, लेकिन जाँच के दौरान राजस्व विभाग की एक बड़ी लापरवाही भी सामने आई। एसडीएम कुंडम ने पाया कि बेलबाई के पति जंगलिया बैगा की मृत्यु वर्ष 2019 में हो गई थी, लेकिन नारायणपुर के तत्कालीन पटवारी पीयूषकांत विश्वकर्मा को इसकी भनक तक नहीं थी। नियम के अनुसार, पटवारियों को ग्राम सभाओं में नियमित रूप से 'बी-1' का वाचन करना होता है ताकि मृतकों के नाम हटाकर उनके उत्तराधिकारियों के नाम दर्ज किए जा सकें। 5 साल बीत जाने के बाद भी रिकॉर्ड अपडेट न होना पटवारी की घोर लापरवाही माना गया है। इसके लिए एसडीएम ने तत्कालीन पटवारी को 'कारण बताओ नोटिस' जारी कर तीन दिन में जवाब माँगा है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जहाँ झूठे आरोपों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाएगा, वहीं सरकारी कार्यों में ढिलाई बरतने वाले कर्मचारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा।
