जबलपुर संघर्ष समिति ने बुलन्द की आवाज,सरकार से मांग फैक्ट्री को 5 जी–आईओटी आधारित उत्पादन केंद्र में बदलने का सुझाव
जबलपुर। राइट टाउन स्थित ऐतिहासिक जबलपुर टेलीकॉम फैक्ट्री को बेचने की सरकारी तैयारी का शहर में जोरदार विरोध शुरू हो गया है। जबलपुर संघर्ष समिति ने स्पष्ट कहा है कि फैक्ट्री की बिक्री न केवल जबलपुर के औद्योगिक भविष्य के विरुद्ध है, बल्कि इससे देश की दूरसंचार निर्माण क्षमता भी कमजोर होगी। समिति ने सरकार से जोर देकर कहा है कि फैक्ट्री को बेचने के बजाय इसे टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। फेडरेशन ऑफ एमपी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष एवं संघर्ष समिति के संयोजक हिमांशु खरे ने बताया कि टेलीकॉम फैक्ट्री के पास विशाल भूमि, तकनीकी ढाँचा, प्रशिक्षित मानव संसाधन तथा उपयुक्त लोकेशन उपलब्ध है, जिससे इसे 4जी/5जी, ऑप्टिकल फाइबर, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और वायरलेस तकनीक के निर्माण केंद्र में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि क्लस्टर मॉडल से हजारों प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे और जबलपुर मध्य भारत का प्रमुख टेलीकॉम हब बन सकेगा। समिति के सदस्यों बलदीप मैनी, मनु शरत तिवारी, हिमांशु राय, सोहन परोहा, आई.के. खन्ना, प्रीति चौधरी, सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि फैक्ट्री की बिक्री शहर के औद्योगिक विकास पर प्रतिकूल असर डालेगी। वहीं संदेश जैन, जितेंद्र पचौरी और दीपक सेठी ने बताया कि इस मुद्दे पर केंद्रीय दूरसंचार विभाग, एमएसएमई मंत्रालय और मुख्यमंत्री से चर्चा कर समाधान की दिशा में पहल की जाएगी। समिति ने आशा व्यक्त की है कि सरकार दूरदर्शी निर्णय लेते हुए जबलपुर को भारत का महत्वपूर्ण टेलीकॉम विनिर्माण केंद्र बनाने में सहयोग करेगी।
समिति ने उठाई माँगें, उद्योग जगत भी आया समर्थन में
टेलीकॉम फैक्ट्री को किसी भी बिक्री प्रक्रिया से बाहर रखा जाए।
परिसर में टेलीकॉम क्लस्टर विकसित कर आधुनिक उपकरण निर्माण को बढ़ावा दिया जाए।
निवेश आकर्षित करने हेतु विशेष औद्योगिक नीति लागू की जाए और स्टार्टअप–इनोवेशन सेंटर स्थापित किया जाए।
फैक्ट्री का उपयोग “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” मिशन के अनुरूप तकनीकी उत्पादन केंद्र के रूप में किया जाए।
