बताया गया है कि वारासिवनी निवासी झरना डहरवाल को आज तड़के 4 बजे के बीच प्रसव पीड़ा उठी। ब्लीडिंग होने लगी जिसपर परिजन झरना को जिला अस्पताल लाए। आशा कार्यकर्ता अनिता जामुनपाने भी साथ में थीं। अस्पताल पहुंचकर तत्काल ऑपरेशन करने के कहा गया। मौके पर मौजूद डॉक्टर रश्मि बाघमारे ने अपनी ड्यूटी खत्म होने का हवाला देते हुए झरना को ऑपरेशन थिएटर से लौटा दिया। जिससे परिजन घबरा गए, वे इधर से उधर भटकते रहे। कुछ देर बाद दूसरी डॉक्टर आईं। उन्होंने ऑपरेशन किया, तब तक शिशु की गर्भ में ही मौत हो चुकी थी। बच्ची की मौत से गुस्साए परिजनों ने आरोप लगाया कि समय पर ऑपरेशन हो जाता तो बच्चे की जान बच जाती। वहीं आशा कार्यकर्ता अनिता जामुनपाने ने कहा कि डॉ. रश्मि बाघमारे को हमने ऑपरेशन करने के लिए कहा तो उन्होंने ड्यूटी खत्म होने की बात कही। मैंने उनसे कहा कि झरना की हालत खराब है तो वे बदतमीजी करने लगीं। वही दूसरी ओर डाक्टर रश्मि बाघमारे ने परिजन के आरोपों को झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि जब महिला को अस्पताल लाया गया, तब उसके गर्भ में बच्चे की धड़कन बंद हो चुकी थी। इस मामले को लेकर सीएचएमओ डॉक्टर परेश उपलप ने मामले की जांच कर कार्यवाही की जाएगी।
20 दिन में ऐसी दूसरी घटना-
खबर है कि इससे पहले 11 नवंबर को भी समय पर ऑपरेशन न होने से किरनापुर की किरण डोंगरे के गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई थी। मामले में डॉ. गीता बारमाटे को निलंबित किया गया था। लगातार दो मामलों ने जिला अस्पताल की सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी घटनाओं के कारण मरीज सरकारी अस्पतालों पर भरोसा खो रहे हैं और मजबूर होकर निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।