"औषधि विभाग जांच करता तो नहीं होती बच्चों की मौत": जहरीली कफ सिरप मामले में डॉक्टर का हाईकोर्ट में दावा

 


जबलपुर। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीली कोल्ड्रिफ कफ सिरप से 25 बच्चों की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। इस मामले में गिरफ्तार किए गए शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी ने दावा किया है कि बच्चों की मौत उस कफ सिरप के बैच से हुई है, जो सन फार्मा कंपनी द्वारा बैच नंबर NSR-13 में मिलाया गया था। डॉ. सोनी ने हाईकोर्ट में यह दावा किया है कि यदि औषधि विभाग इस बैच की जांच करता, तो बच्चों की मौत नहीं होती। डॉ. सोनी की ओर से उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि वह पिछले 20 वर्षों से यही दवा लिख रहे हैं, लेकिन कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप सामने नहीं आई। उन्होंने ज़ोर दिया कि वह कंपनी की लापरवाही की सजा भुगत रहे हैं, और कंपनी द्वारा की गई गलती अनुचित है। डॉ. सोनी पर 8 अक्टूबर 2025 को परासिया के एडिशनल जज गौतम कुमार गुजरे की कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया है। पुलिस ने हाल ही में उनकी पत्नी ज्योति सोनी को भी गिरफ्तार किया है, जिनके नाम पर मेडिकल स्टोर संचालित हो रहा था, जहां से कोल्ड्रिफ सिरप बेचा गया था।

 हाईकोर्ट में सुनवाई और पुलिस कार्रवाई

​जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की अदालत में सुनवाई के दौरान डॉ. सोनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर और अधिवक्ता समरेश कटारे पेश हुए, जबकि शासकीय अधिवक्ता सी.एम. तिवारी ने सरकार का पक्ष रखा। डॉ. सोनी के समर्थन में दस्तावेज़ पेश करने के लिए उन्होंने एक दिन का समय मांगा। इसके बाद, जस्टिस अग्रवाल ने गुरुवार को फिर से सुनवाई करने का निर्देश दिया है। डॉ. प्रवीण सोनी को परासिया थाना पुलिस ने 5 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। मामले की गंभीरता इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि बच्चों की मौत का संबंध एक विशेष बैच नंबर NSR-13 की कोल्ड्रिफ कफ सिरप से बताया जा रहा है। डॉ. सोनी ने आरोप लगाया है कि इस त्रासदी को टाला जा सकता था यदि औषधि विभाग ने समय रहते इस बैच की जांच की होती। उनकी दलील है कि इस सिरप के कारण बच्चों की मौत हुई है, और उन्हें बेवजह फंसाया जा रहा है। उनकी पत्नी की गिरफ्तारी भी इस मामले में पुलिस की कड़ी कार्रवाई को दर्शाती है, जिनका मेडिकल स्टोर इस सिरप की बिक्री का माध्यम था।

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