जबलपुर का ई-मोबिलिटी सपना अधर में, नगर निगम की ढिलाई से फेम प्रोजेक्ट रुका

 


केंद्र की महत्वपूर्ण योजना जमीन के अभाव में लटकी

जबलपुर। केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय ने फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल (फेम) फेज-2 योजना के तहत जबलपुर को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाएँ देने की तैयारी की थी। इसके लिए शहर में 20 से 25 डीसी चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाने थे तथा 10 किमी के दायरे में सुलभ चार्जिंग व्यवस्था सुनिश्चित की जानी थी। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से नगर निगम जबलपुर और स्मार्ट सिटी कंपनी परियोजना के लिए उपयुक्त जमीन ही तय नहीं कर पाई। जमीन उपलब्ध न होने के कारण परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी और यह मौका शहर के हाथ से निकलता दिख रहा है।

 दो दर्जन चार्जिंग स्टेशन बनना थे, पर प्लानिंग फेल

फेम योजना के तहत निगम को शहर भर में चार्जिंग प्वाइंट्स विकसित करने थे, ताकि ई-वाहनों को बढ़ावा मिल सके और पर्यावरण प्रदूषण में कमी आये। योजना में यह भी शामिल था कि जहां रोज 15 हजार से अधिक वाहन गुजरते हों, ऐसे स्थलों पर एसी–डीसी चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएं। इसके लिए विस्तृत सर्वे रिपोर्ट तैयार हुई थी, लेकिन इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। नगर निगम और स्मार्ट सिटी के बीच समन्वय के अभाव और योजना में रुचि न लेने की वजह से दो दर्जन चार्जिंग स्टेशन बनना तो दूर, एक भी स्थान तय नहीं हो सका। यही वजह है कि केंद्र को रिपोर्ट भेजे जाने के बावजूद प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया।

ई-बस प्रोजेक्ट भी अटका, शहर विकास पर प्रश्नचिह्न

जबलपुर के लिए 50 ई-बसें चलाने की भी योजना थी, जिसके लिए बस डिपो और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाना था। यह प्रोजेक्ट भी जमीन की अनुपलब्धता के कारण आगे नहीं बढ़ सका। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश मिलने के बावजूद स्थानीय स्तर पर ठोस निर्णय न होने से ई-बस योजना प्रभावित हुई है। बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन तेजी से अपनाए जा रहे हैं, वहीं जबलपुर जैसे प्रमुख शहर में बुनियादी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर न बन पाना गंभीर स्थिति को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य मजबूत करने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ऐसे प्रोजेक्ट अनिवार्य हैं। ज़मीन चिन्हांकन जैसी बुनियादी प्रक्रिया भी पूरी न कर पाना स्थानीय निकायों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो शहर कई महत्वपूर्ण अवसरों से वंचित रह जाएगा और ई-मोबिलिटी की दिशा में पीछे रह जाएगा।

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