जबलपुर। जबलपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों, विशेषकर शहपुरा और पाटन की सीमा पर इन दिनों अवैध जुए का कारोबार अपने चरम पर है। पुलिस की शहर में बढ़ती सख्ती के बाद जुआरियों ने अब अपना ठिकाना बदलकर पहाड़ियों और खेतों को बना लिया है। यहाँ बाकायदा अस्थाई पंडाल लगाकर जुए की महफिलें सजाई जा रही हैं।
छह जिलों के जुआरियों का जमावड़ा
सूत्रों के अनुसार, शहपुरा-पाटन के इन फड़ों पर केवल स्थानीय ही नहीं, बल्कि नरसिंहपुर, सिवनी, मंडला, कटनी और दमोह जैसे पड़ोसी जिलों के रसूखदार जुआरी भी पहुँच रहे हैं। दुर्गम पहाड़ी रास्तों का फायदा उठाकर ये फड़ संचालक सुरक्षित रूप से अपना नेटवर्क चला रहे हैं। चर्चा है कि इस पूरे सिंडिकेट को स्थानीय नेताओं और सफेदपोशों का कड़ा संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस की दबिश बेअसर साबित हो रही है।
अब कैशलेस हुआ जुआ
पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए जुआरियों ने अब डिजिटल रास्ता अपना लिया है। मौके पर बड़ी नकदी पकड़े जाने के डर से अब हार-जीत का भुगतान ऑनलाइन माध्यमों से किया जा रहा है। यदि पुलिस मौके पर पहुँचती भी है, तो उनके हाथ बड़ी रकम नहीं लगती, जिससे आरोपियों को कानूनी लाभ मिल जाता है।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
हैरानी की बात यह है कि पूरे क्षेत्र में इन फड़ों की चर्चा आम जनता के बीच जोरों पर है, लेकिन स्थानीय पुलिस इससे बेखबर बनी हुई है। हालांकि, जबलपुर एसपी द्वारा अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं, लेकिन मैदानी स्तर पर स्थिति इसके उलट दिख रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस और जुआ संचालकों की मिलीभगत के कारण ही ये फड़ बेखौफ संचालित हो रहे हैं।
