बजरंग दल के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि होटल में आयोजित कार्यक्रम में लोगों को भोजन व अन्य सुविधाओं का लालच देकर बुलाया गया था ताकि उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके। संगठन का दावा है कि कार्यक्रम स्थल पर मौजूद लोगों के हाथों में बाइबल थी। वहां धार्मिक गतिविधियां संचालित की जा रही थीं। बजरंग दल ने पूरे मामले की गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। विवाद बढऩे के बाद पुलिस ने हस्तक्षेप किया। सिविल लाइन थाने परिसर में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए कार्रवाई की मांग की। वहीं होटल संचालक ने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल कार्यक्रम के आयोजन के लिए स्थान उपलब्ध कराया था कार्यक्रम की प्रकृति की जानकारी उन्हें पहले से नहीं थी। होटल संचालक का कहना है कि उन्होंने किसी भी प्रकार के प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण का समर्थन नहीं किया और स्थिति बिगड़ती देख स्वयं पुलिस को सूचना दी थी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दोनों पक्षों की शिकायतें सुन पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है। जांच के बाद तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि प्रदेश में प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि जांच में ऐसे तथ्य सामने आते हैं तो दोषियों के खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कार्यक्रम में शामिल लोगों ने आरोपों को निराधार बताया-
कार्यक्रम में शामिल लोगों ने धर्मांतरण के आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया। उनका कहना है कि यह क्रिसमस पर्व के अवसर पर आयोजित एक धार्मिक प्रार्थना सभा थीए जिसमें किसी पर दबाव या लालच नहीं दिया गया। इसके उलटए उन्होंने बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ताओं पर दुर्व्यवहार और मारपीट के आरोप भी लगाए हैं।