जबलपुर। मध्यप्रदेश में आगामी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर सरकार ने अपनी कमर कस ली है, लेकिन शिक्षकों के लिए यह समय भारी मानसिक तनाव लेकर आया है। एक तरफ स्कूल शिक्षा विभाग ने बोर्ड परीक्षाओं से जुड़े कार्यों को अत्यावश्यक सेवा घोषित करते हुए एस्मा लागू कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षक वोटर लिस्ट के काम में पहले से ही दबे हुए हैं। स्थिति ऐसी है कि शिक्षक जिसे ना कहेंगे, वही नाराज होगा।
ड्यूटी से इनकार पर होगी जेल!
शासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, 1 फरवरी से 30 अप्रैल 2026 तक एस्मा प्रभावी रहेगा। इस दौरान 10वीं और 12वीं की परीक्षा संचालन, पर्यवेक्षण और मूल्यांकन से कोई भी शिक्षक या कर्मचारी इनकार नहीं कर सकेगा। ऐसा करना अब कानूनन अपराध की श्रेणी में आएगा। सरकार का यह कदम परीक्षा प्रक्रिया में किसी भी संभावित हड़ताल या बाधा को रोकने के लिए है।
सरकार का मौन, शिक्षकों की दुविधा
इस कड़े आदेश के बीच जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हजारों शिक्षक वर्तमान में चुनाव आयोग के निर्देश पर घर-घर जाकर वोटर लिस्ट अपडेट करने के काम में लगे हैं। शिक्षकों का कहना है कि यदि वे चुनावी काम छोड़ते हैं, तो प्रशासन उन पर गाज गिराता है, और अब परीक्षा कार्य से मना करने पर एस्मा की तलवार लटका दी गई है। इस विरोधाभास पर विभाग पूरी तरह मौन साधे हुए है, जिससे शिक्षकों में भारी असंतोष है।सरकारी आदेशों के इस चक्रव्यूह में फंसे शिक्षक अब यह समझ नहीं पा रहे कि वे बच्चों को पढ़ाएं, वोटर लिस्ट सुधारें या परीक्षा की ड्यूटी निभाएं।
-ऐसा है शेड्यूल
- 10वीं-12वीं प्री-बोर्ड: 6 जनवरी 2026 से शुरू।
- 5वीं-8वीं बोर्ड: 20 फरवरी से शुरू (दोपहर 2:00 से 4:30 बजे)।
- सख्ती: एस्मा लागू होने के बाद अब शिक्षकों को हर हाल में अपनी सेवाएं देनी होंगी।
