मंडला। एमपी के मंडला स्थित ग्राम कटरा में आयुषी ज्वेलर्स में हुए डकैती कांड व फायरिंग का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। मामले में पुलिस ने एमपी के इंदौर, रायसेन, बड़वानी, मंडला व बिहार से 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं 6 आरोपी अभी भी फरार है, जिनकी तलाश में पुलिस की टीमें संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि डकैती की साजिश में दुकान संचालक आयुष सोनी का चचेरे भाई अनिल सोनी का ही हाथ है। वही इस वारदात का मुख्य सूत्रधार बना। वह लंबे समय से बेरोजगार था और आर्थिक तंगी झेल रहा था, जबकि आयुष सोनी का परिवार दुकान व्यवसाय के कारण अच्छी स्थिति में था। इसी ईष्र्या के चलते अनिल ने अपराधियों को दुकान में मौजूद भारी मात्रा में जेवरात की जानकारी दी और डकैती कराने की योजना बनाई। अनिल ने अपने परिचित रोहित भारतीय को जानकारी दी, जिसने यह सूचना आगे विष्णु शिंदे, पंकज व लवकुश तक पहुंचाई। इसके बाद पूरा गैंग मंडला में सक्रिय हुआ। अधिकारियों ने बताया कि गैंग ने पहली कोशिश 13 नवंबर को की थी। इंदौर से आए आरोपी आयुष सोनी के घर तक पहुंचे थे, लेकिन इलाके में ज्यादा हलचल देखकर वापस लौट गए। दूसरा प्रयास 19 नवंबर को हुआ लेकिन उस दिन भी दुकान बंद मिली। तीसरा और सफल प्रयास 20 नवंबर की शाम किया गया। रोज की तरह दुकान बंद करने के लिए सोना-चांदी के आभूषण दो बैग में रखकर बॉबी दुकान के सामने खड़ी कार में रखने जा रहा था। उसी समय मंडला की ओर से एक ग्रैंड विटारा कार तेजी से आकर रुकी। कार से तीन हथियारबंद अपराधी उतरे, जबकि चालक कार में ही बैठा रहा। बदमाशों में से एक ने बॉबी के सिर पर पिस्टल सटाकर बैग वहां रखने के लिए कहा। डर से बॉबी ने बैग छोड़ दिया। इसके बाद एक अपराधी दुकान में घुसा और आयुष से दुकान में रखा पूरा सोना-चांदी निकालने के लिए कहा। वह सोने-चांदी के आभूषण को लूटने लगा, जिसका आयुष ने विरोध किया। इस पर अपराधी ने पिस्टल से उसके बाएं पैर के घुटने के नीचे गोली मार दी। आयुष खून से लथपथ होकर गिर गया। इसके बाद अपराधी बैग उठाकर कार फरार हो गए। घायल आयुष को बॉबी और अक्षांश का जिला अस्पताल में इलाज हुआ। आरोपी वारदात के बाद सेमरखापा मार्ग से जंगल की ओर भागे। पुलिस चेकिंग की जानकारी मिलने पर उन्होंने जेवर और हथियार अलग-अलग स्थानों पर छुपा दिए और फिर विभिन्न साधनों से जबलपुर की ओर निकल गए। बाद में आशु, धर्मेंद्र, इरफान व अजहर छुपाया गया माल निकालने वापस लौटे। तकनीकी विश्लेषण और 200 से अधिक सीसीटीवी फुटेज के आधार पर संदिग्ध वाहनों की पहचान की गई। पुलिस ने 8 टीमें बनाईं और विभिन्न राज्यों में भेजा, इसके बाद 72 घंटे के भीतर गैंग का बड़ा हिस्सा पकड़ा गया।
बिहार से पकड़े गए आरोपी-
-खालिद अंसारी
-शशि कुमार
-कृष्णा उर्फ रामकृष्ण
इनके पास से ग्रैंड विटारा कार, मोबाइल व जंगल में छुपाए गए जेवर बरामद हुए।
एमपी से पकड़े गए आरोपी-
-मोहम्मद अजहर इंदौर
-राजेश ठाकुर बड़वानी
-लवकुश गौर रायसेन
-रोहित भारतीय मंडला
-अनिल सोनी मंडला
इनके पास से अर्टिगा कार, जेवर, बैग व मोबाइल बरामद किए गए। वारदात में कुल 14 आरोपी शामिल थे, जिनमें से 6 अब भी फरार है।
साजिशकर्ता को भी दिया धोखा-
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि डकैती होने के बाद जब अनिल ने अपराधियों से संपर्क कियाए तो उन्होंने घटना करने से ही इनकार कर दिया। इस तरह वह भी पुलिस की गिरफ्त में आ गया।