10.2% वृद्धि का प्रस्ताव, विरोध भी हुआ शुरू
जबलपुर। मध्यप्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर एक बार फिर महंगाई की मार पड़ने की आशंका है। मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी और प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने आगामी वित्त वर्ष 2026-27 के लिए बिजली दरों में 10.2 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के समक्ष पेश किया है। कंपनियों ने अपनी याचिका में कुल 6,044 करोड़ रुपये का घाटा बताते हुए इस वृद्धि की मांग की है। इस प्रस्ताव पर नियामक आयोग ने अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है और उपभोक्ताओं से 25 जनवरी 2026 तक आपत्तियां आमंत्रित की हैं। आपत्तियों के निराकरण और चर्चा के लिए जनसुनवाई का कार्यक्रम भी घोषित कर दिया गया है।
- पूर्व क्षेत्र (जबलपुर): 24 फरवरी 2026
- पश्चिम क्षेत्र (इंदौर): 25 फरवरी 2026
- मध्य क्षेत्र (भोपाल): 26 फरवरी 2026
पुरानी खारिज राशियों को घाटे में शामिल करने का आरोप
विद्युत मामलों के विशेषज्ञ एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने इस टैरिफ वृद्धि का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि कंपनियों द्वारा दर्शाए गए 6,044 करोड़ रुपये के घाटे में 3,451 करोड़ रुपये की वह राशि भी शामिल है जो 12 साल पुरानी है और जिसे आयोग पहले ही 'अवैधानिक' मानकर खारिज कर चुका है। इसके अतिरिक्त, 750 करोड़ रुपये की मांग स्मार्ट मीटर के नाम पर की गई है, जो उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ है। श्री अग्रवाल ने मांग की है कि कोरोना काल से चली आ रही ऑनलाइन सुनवाई को बंद कर पूर्व की भांति जबलपुर, इंदौर और भोपाल में व्यक्तिगत उपस्थिति वाली जनसुनवाई आयोजित की जाए। उन्होंने तर्क दिया कि भौतिक उपस्थिति वाली सुनवाई से ही अधिक से अधिक उपभोक्ता प्रभावी ढंग से अपना विरोध दर्ज करा सकेंगे।
