हनुमानताल में 'खूनी शराब' का कहर: उजड़ गए 19 सुहाग, हाथों में अपनों की फोटो ले सड़कों पर उतरा सैलाब; प्रशासन में हड़कंप


मौत की मंडी बना जबलपुर का सिंधी कैंप:आक्रोशित जनता ने खोला पुलिस के खिलाफ मोर्चा,पुलिस की नाक के नीचे जहर परोस रहा माफिया!

जबलपुर। न जबलपुर के हनुमानताल थाना क्षेत्र से एक ऐसी रूह कंपा देने वाली खबर सामने आई है, जिसने पूरे प्रशासनिक अमले को कटघरे में खड़ा कर दिया है। महज 3 महीने के भीतर जहरीली शराब ने 19 घरों के चिराग बुझा दिए। सोमवार को जब रविदास समाज के सैकड़ों लोग, मासूम बच्चे और बिलखती महिलाएं हाथों में अपने अपनों की तस्वीरों वाले पोस्टर लेकर सड़कों पर उतरे, तो देखने वालों का कलेजा मुंह को आ गया। कलेक्टर और एसपी कार्यालय के बाहर हुए इस प्रदर्शन ने खाकी और आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवालिया निशान लगा दिए हैं।

नशे के सौदागरों का 'खूनी खेल': 24 घंटे में दो और मौतें


हनुमानताल इलाके के सिंधी कैंप, सिद्ध बाबा रोड और ठक्कर ग्राम वार्ड अब 'मातम के टापू' बन चुके हैं। प्रदर्शनकारियों ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि बीते 24 घंटे के भीतर ही दो और युवकों की जहरीली शराब के कारण जान चली गई, जिनका अंतिम संस्कार सोमवार को ही किया गया। मीरा चौधरी जैसी महिलाओं का आरोप है कि इलाके में कलारियों से 24 घंटे अवैध रूप से जहर बेचा जा रहा है। सबसे ज्यादा दर्दनाक पहलू यह है कि मरने वाले अधिकांश युवाओं की उम्र महज 30 से 35 साल के बीच थी। नशे के इस सौदागरों ने हंसते-खेलते परिवारों को उजाड़ दिया है, और पीछे छोड़ गए हैं बेसहारा बुजुर्ग माता-पिता और बिलखते बच्चे।

पुलिस और माफिया का गठबंधन, आक्रोश की आग

​प्रदर्शनकारियों का गुस्सा सीधे तौर पर हनुमानताल पुलिस के खिलाफ फूटा। भीड़ का स्पष्ट आरोप था कि यह पूरा काला कारोबार स्थानीय पुलिस के संरक्षण में फल-फूल रहा है। पोस्टर और बैनरों पर मृतकों की तस्वीरें लेकर पहुंचे लोगों ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा कि इलाके में सिर्फ जहरीली शराब ही नहीं, बल्कि स्मैक और गांजे की मंडी सजी हुई है। जब प्रदर्शनकारी अपनी फरियाद लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, तो भारी भीड़ को देखते हुए गेट तक बंद करने पड़े। जनता का सवाल सीधा है कि जब 19 लोगों की मौत हो रही थी, तब पुलिस की खुफिया तंत्र और गश्त दल क्या सो रहे थे? क्या खाकी की मौन सहमति ने माफिया के हौसले बुलंद किए?

नींद से जागा प्रशासन: प्रदर्शन के बाद खानापूर्ति या कार्रवाई

​हैरानी की बात यह है कि जिस आबकारी विभाग की जिम्मेदारी अवैध शराब पर लगाम कसने की थी, वह तब हरकत में आया जब मामला हाथ से निकल गया। कलेक्टर के सख्त निर्देश के बाद सहायक आयुक्त आबकारी संजीव कुमार दुबे की टीम ने सिंधी कैंप इलाके में दबिश दी और आनन-फानन में 5 केस दर्ज किए। लेकिन सवाल उठता है कि क्या ये 5 केस उन 19 जिंदगियों की भरपाई कर पाएंगे? इधर, एडिशनल एसपी आयुष गुप्ता ने जांच का भरोसा देते हुए कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि, जनता अब आश्वासनों से ऊब चुकी है। उन्हें ठोस कार्रवाई और उन चेहरों के नाम चाहिए, जिन्होंने चंद रुपयों के खातिर 19 लोगों को मौत की नींद सुला दिया। जबलपुर का यह 'शराब कांड' प्रशासन के चेहरे पर कालिख की तरह है। अब देखना यह होगा कि क्या जांच की आंच उन सफेदपोशों और लापरवाह अधिकारियों तक पहुँचती है, जिनकी सरपरस्ती में यह मौत का व्यापार चल रहा था।

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