जबलपुर। सिहोरा को जिला बनाने की मांग ने अब एक उग्र जन-आंदोलन का रूप ले लिया है। लंबे समय से उपेक्षा का शिकार रहे सिहोरा वासियों का धैर्य अब जवाब दे चुका है। 'लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति' ने सरकार की वादाखिलाफी के विरुद्ध निर्णायक संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है। समिति ने घोषणा की है कि 25 दिसंबर को सिहोरा नगर सहित प्रत्येक ग्राम पंचायत में मुख्यमंत्री के कुल 101 पुतले जलाकर विरोध दर्ज कराया जाएगा।
अन्न सत्याग्रही प्रमोद साहू की हालत नाजुक
इस आंदोलन की सबसे गंभीर स्थिति अन्न सत्याग्रही और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू की है। श्री साहू पिछले 17 दिनों से अनवरत सत्याग्रह पर हैं और उन्होंने अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं किया है। लगातार उपवास के कारण उनके स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट आ रही है, जिसे लेकर क्षेत्र की जनता में भारी रोष है। आंदोलनकारियों का कहना है कि चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे कर वोट लेना और सत्ता में आते ही उन्हें भूल जाना सिहोरा के स्वाभिमान पर सीधा प्रहार है। समिति के अनुसार, 23 दिसंबर को मुख्यमंत्री से वार्ता का आश्वासन दिया गया था, लेकिन वार्ता न होने से जन-आक्रोश चरम पर पहुंच गया है। पुतला दहन के बाद, 27 दिसंबर को चक्काजाम (सड़क जाम) करने की तैयारी है। आंदोलन समिति ने सिहोरा के हर नागरिक से आह्वान किया है कि वे अपने घर के बाहर मुख्यमंत्री और मध्यप्रदेश सरकार का प्रतीकात्मक पुतला दहन कर इस अपमान का करारा जवाब दें। यह लड़ाई अब किसी एक संगठन की नहीं, बल्कि सिहोरा के अस्तित्व और पहचान की लड़ाई बन चुकी है।
