मप्र सरकार का बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: न्याय व्यवस्था को धार देने के लिए 100 से अधिक विधि अधिकारियों की फौज तैनात


जबलपुर
। मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने राज्य की विधिक व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। विधि और विधायी कार्य विभाग द्वारा जारी ताजा आदेश के अनुसार, जबलपुर मुख्य पीठ सहित इंदौर, ग्वालियर और दिल्ली स्थित महाधिवक्ता कार्यालयों में व्यापक स्तर पर नियुक्तियां और फेरबदल किए गए हैं। इस नई टीम के गठन में अनुभव और ऊर्जा का संतुलन बिठाने की कोशिश की गई है, ताकि उच्च न्यायालयों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सरकार का पक्ष और मजबूती से रखा जा सके।

प्रमुख नियुक्तियाँ: एक नज़र में

​शासन ने प्रदेश के चारों प्रमुख केंद्रों के लिए विशेषज्ञों की सूची जारी की है। इसमें अनुभवी दिग्गजों को निरंतरता दी गई है, वहीं कई नए चेहरों को सरकारी पैरवी का मौका मिला है।

केंद्र

मुख्य नियुक्तियाँ (अतिरिक्त महाधिवक्ता)


जबलपुर (मुख्य पीठ)

        हरप्रीत सिंह रूपराह,  नीलेश यादव,           श्रीमती जान्हवी पंडित, ब्रह्मदत्त सिंह


इंदौर खंडपीठ

            राहुल सेठी,  आशीष यादव


ग्वालियर खंडपीठ

 

          राजेश कुमार शुक्ला




नियुक्ति की शर्तें और कार्यकाल

​विभाग के सचिव मुकेश कुमार द्वारा जारी आदेश के अनुसार ,अवधि: सभी नियुक्तियां प्राथमिक रूप से एक वर्ष के लिए की गई हैं।​  कार्य संतोषजनक होने पर शासन इस अवधि को बढ़ा सकता है। सरकार के पास बिना कारण बताए किसी भी समय नियुक्ति समाप्त करने का अधिकार सुरक्षित है।

क्षेत्रवार विस्तृत विवरण

जबलपुर: 57 शासकीय अधिवक्ताओं की 'फौज'

​प्रदेश की मुख्य न्यायिक राजधानी जबलपुर में सबसे बड़ा बदलाव देखा गया है। यहाँ अतिरिक्त महाधिवक्ताओं के साथ  विवेक शर्मा, अभिजीत अवस्थी और स्वप्निल गांगुली जैसे उप महाधिवक्ताओं की टीम तैनात की गई है। इसके अलावा, 57 शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति की गई है जो विभिन्न विभागों के लंबित मामलों को गति देंगे।

 इंदौर और ग्वालियर: स्थानीय मजबूती

​इंदौर खंडपीठ में 29 शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति कर प्रशासनिक कार्यों में तेजी लाने का प्रयास किया गया है। ग्वालियर में  रविंद्र दीक्षित और ब्रिज मोहन पटेल जैसे नामों को शामिल कर टीम को मजबूती दी गई है।

 दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बेहतर समन्वय

​नई दिल्ली स्थित कार्यालय के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।  सुरजीत सिंह और अरकाज कुमार जैसे अधिकारियों को दिल्ली के साथ अटैच किया गया है, ताकि राज्य और केंद्र के बीच कानूनी समन्वय  बना रहे।सरकार ने इस बार पारदर्शिता और अनुशासन पर विशेष जोर दिया है। आदेश में स्पष्ट 'नोट' शामिल किया गया है कि ​कोई भी विधि अधिकारी अपने निर्धारित कार्यक्षेत्र (जैसे जबलपुर से इंदौर या ग्वालियर) को महाधिवक्ता की लिखित अनुमति के बिना नहीं बदलेगा। अधिकारी केवल उसी पीठ में पैरवी करेंगे जहाँ उनकी नियुक्ति हुई है। ​विशेषज्ञों का मानना है कि 100 से अधिक विधि अधिकारियों की यह नई टीम राज्य में लंबित हजारों सरकारी मामलों के त्वरित निराकरण में मील का पत्थर साबित होगी। यह फेरबदल न केवल कानूनी प्रक्रिया को तेज करेगा, बल्कि शासन की नीतियों को न्यायालय में सही ढंग से प्रस्तुत करने में भी सहायक होगा।

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