जबलपुर की सड़कों पर गलत रोशनी से बढ़ रहे हादसे, जिम्मेदारों ने ली चुप्पी साध
जबलपुर। शहर की सड़कों पर रात के समय हाईबीम और फोकस लाइट का गलत उपयोग लोगों की जान के लिए बड़ा खतरा बन गया है। नियमों के बावजूद दोपहिया और चारपहिया वाहनों पर गैरकानूनी रूप से लगाई जा रही तेज रोशनी वाली एलइडी और फोकस लाइट्स रात के समय सामने से आ रहे वाहन चालकों की आँखें चौंधिया देती हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
-राजमार्गों पर टेंशन हाई
विशेष रूप से हाईवे और व्यस्त शहरी मार्गों पर यह समस्या गंभीर रूप से बढ़ी है। कई वाहन मालिक अपनी गाड़ियों में कंपनी की ओर से दी गई मानक लाइटिंग हटाकर ‘अतिरिक्त’ मॉडिफाइड लाइट्स लगा रहे हैं। इन लाइटों की चमक इतनी तेज होती है कि सामान्य ड्राइवर कुछ सेकंड के लिए बिल्कुल अंधा सा महसूस करता है। यही कारण है कि पिछले महीनों में कई सड़क हादसों में हाईबीम और गलत फोकस लाइट को जिम्मेदार माना गया।
-नियम क्या हैं
नियम साफ कहते हैं कि वाहन निर्माता कंपनी द्वारा दी गई लाइटिंग के अलावा कोई भी बाहरी हाईबीम, ज़ेनॉन, फोकस लाइट या डीजे-टाइप रोशनी लगाना पूरी तरह अवैध है। मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 177 और 191 के अनुसार गलत लाइटिंग लगाने पर चालान के साथ वाहन जब्ती तक की कार्रवाई संभव है। लेकिन शहर में यह नियम कागजों में ही सीमित है—कार्रवाई लगभग वर्षों से नहीं हुई।
-सिस्टम पर सवाल
ट्रैफिक पुलिस की मूकदर्शक भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रात में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय विभाग सिर्फ औपचारिक चालान तक सीमित हो चुका है। कई बार हेलमेट या सीट बेल्ट के अभियान चले, पर हाईबीम नियंत्रण पर कोई विशेष निरीक्षण नहीं किया गया।
-दोपहिया में भी यही समस्या
दोपहिया वाहनों में लगाई जा रही तेज़ सफेद एलईडीलाइटें भी बड़ी समस्या हैं। इनका फोकस सामान्य से कई गुना अधिक होता है, जिससे दूर से आती गाड़ियों के ड्राइवरों को सड़क, मोड़ या पैदल यात्री साफ नजर नहीं आते। अंधाधुंध रोशनी के कारण कई बार हादसे हुए हैं। शहर के कुछ क्षेत्रों जैसे नर्मदा रोड, मेडिकल, भेडाघाट मार्ग, त्रिपुरी चौक, गोहलपुर रोड—पर मॉडिफाइड लाइट वाले वाहनों की संख्या सबसे ज्यादा बताई जा रही है। रात 8 बजे के बाद इन मार्गों पर वाहनों की गलत लाइटिंग और स्पीड दोनों मिलकर यात्रियों के लिए बड़ा खतरा बन जाते हैं।
