मरीज मौत के बिस्तर पर है, एनओसी का इंतजार बेमानी

 


हाई कोर्ट ने कहा-राज्य शासन की अनुमति के बिना अस्पताल किडनी ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया प्रारंभ करें 

 जबलपुर । हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मरीज मौत के बिस्तर पर है और अपनी जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा है। लिहाजा, राज्य शासन की एनओसी के बिना अस्पताल किडनी ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया प्रारंभ करे।  कोर्ट ने साफ किया कि यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि योग्य विशेषज्ञ चिकित्सकों ने याचिकाकर्ताओं की हेल्थ कंडीशन की जांच की है और वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि किडनी डोनेट की जा सकती है। बीना निवासी महिला मरीज व उसकी मित्र ने याचिका दायर की है। दोनों की मांग है कि किडनी ट्रांसप्लांटेशन के लिए सर्जरी का न्यायिक आदेश जारी किया जाए। इस मामले में हाई कोर्ट ने मांग पूरी करते हुए निर्देश जारी कर दिए। इसके बावजूद अधिकारी और हास्पिटल किडनी ट्रांसप्लांट के लिए याचिकाकर्ताओं के मामले पर विचार नहीं कर रहे हैं। वे राज्य शासन की एनओसी न मिलने को आधार बनाते हुए बाधक बने हैं। इस बीच याचिकाकर्ता मरीज की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। वह प्रतिदिन डायलिसिस करा रही है। खास बात यह कि अपोलो अस्पताल, भोपाल किडनी ट्रांसप्लांटेशन के लिए तैयार है। किंतु उसे भी प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए न्यायिक आदेश की दरकार है। यह कमी पूरी होने के बाद मरीज की जान बचाई जा सकती है। 

-याचिकाकर्ता की रिस्क पर होगी सर्जरी

हाई कोर्ट ने पूरे मामले को समझने के बाद आदेश पारित किया कि वर्तमान हालात को देखते हुए भले ही राज्य शासन की एनओसी नहीं है, फिर भी याचिकाकर्ताओं के बीच किडनी ट्रांसप्लांटेशन के लिए सर्जरी प्रारंभ की जाए। ऑपरेशन से संभव है कि मरीज की जान बच जाए। इस प्रकरण में अविलंब कार्रवाई की अपेक्षा है, इसलिए राज्य को कोई और निर्देश लेने के लिए समय प्रदान नहीं किया जा सकता।  हास्पिटल के अधिकारी चिकित्सक किडनी ट्रांसप्लांटेशन से जुड़ी सभी औपचारिकताओं जैसे किडनी मैचिंग वगैरह करने के लिए स्वतंत्र हैं। किडनी ट्रांसप्लांटेशन का आपरेशन याचिकाकर्ताओं के रिस्क पर किया जाएगा।

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