स्टेशन मास्टरों का रेलवे अधिकारी कर रहे शोषण, मानवाधिकार आयोग हुआ सख्त, बोर्ड से मांगी रिपोर्ट

 
नई दिल्ली. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने रेलवे में स्टेशन मास्टरों के साथ हो रहे कथित शोषण पर कठोर रुख अपनाया है. आयोग ने रेलवे बोर्ड और मुख्य श्रम आयुक्त को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. यह मामला मध्य रेलवे जोन से जुड़े एक गंभीर आरोप के बाद सामने आया है, जिसमें स्टेशन मास्टरों से बिना अतिरिक्त भुगतान के लंबे समय तक ड्यूटी करवाने की बात कही गई है.

रिटायर स्टेशन मास्टर वीरेंद्र कुमार पालीवाल ने आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी कि देश भर में स्टेशन मास्टरों को लगातार आठ से दस घंटे की ड्यूटी दी जाती है, बिना आराम के रात-दिन काम कराया जाता है और भत्तों में भेदभाव होता है. उन्होंने कहा कि कई जगहों पर नियमों के बावजूद लगातार सात रातों की ड्यूटी देना आम बात हो गई है. पालीवाल ने आरोप लगाया कि यह न केवल श्रम कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है.

मानवाधिकार आयोग ने जताई चिंता

एनएचआरसी ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला मानवाधिकारों और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन प्रतीत होता है. आयोग ने माना कि इस तरह की प्रथाएं रेलवे संचालन की सुरक्षा पर भी जोखिम पैदा करती हैं. आदेश में यह भी कहा गया कि शिकायत में किए गए आरोप प्रथम दृष्टया कर्मचारियों के साथ अमानवीय व्यवहार की ओर संकेत करते हैं. आयोग ने पालीवाल की शिकायत की प्रति रेलवे बोर्ड को भेजते हुए इन प्रथाओं की गहन जांच करने और सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

ड्यूटी रोस्टर से लेकर प्रमोशन तक विवाद

पालीवाल के अनुसार, स्टेशन मास्टरों को आठ तरह की अनुचित श्रम प्रथाओं का सामना करना पड़ रहा है. जिनमें रेल सेवक कार्य घंटे एवं विश्राम अवधि नियम-2005 का उल्लंघन, बिना वेतन के अतिरिक्त कार्य, ड्यूटी रोस्टर में हेराफेरी, और वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में अनियमितता शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारी नियम पुस्तिकाओं को अपडेट नहीं करते और पदों का गलत उपयोग करते हैं. शिकायत में नागपुर मंडल का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि कुछ अधिकारी सरकार के नियमों को ताक पर रखकर कर्मचारियों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं. एनएचआरसी के दखल से उम्मीद है कि रेलवे कर्मचारियों, विशेषकर स्टेशन मास्टरों की कार्य स्थिति में सुधार आएगा और उनके अधिकारों को लेकर जवाबदेही तय होगी

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