पोर्टल की जांच में खुली गड़बड़ी, महीनों बाद भी नहीं हो सकी कार्रवाई
जबलपुर। जिले में करीब पाँच हजार ऐसे लोगों की पहचान की गई है जिनकी आय छह लाख रुपये से अधिक है, कई तो कंपनियों के निदेशक तक हैं, फिर भी वे गरीबों के लिए मिलने वाले सस्ते राशन का लाभ उठा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा पोर्टल के माध्यम से की गई जांच में यह राज खुला था, लेकिन कार्रवाई न होने से अब पूरा प्रकरण सवालों में घिर गया है। जिला आपूर्ति विभाग ने सूचीबद्ध लाभार्थियों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण माँगा था, लेकिन अधिकांश लाभार्थियों ने अब तक जवाब नहीं दिया है। आश्चर्य की बात यह है कि जवाब न देने के बावजूद विभाग द्वारा किसी का भी नाम बीपीएल सूची से हटाया नहीं गया। विभागीय उदासीनता के कारण महीनों बाद भी इस मामले में एक भी ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।
-राशन दुकान संचालकों का खेल
सूत्र बताते हैं कि कई राशन दुकान संचालक भी जानबूझकर ऐसे लोगों का नाम नहीं काट रहे ताकि उनका उपभोक्ता आधार बना रहे। वहीं विभागीय कर्मियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है, क्योंकि बड़ी संख्या में पात्रता से बाहर लोग राशन का अनाज ले रहे हैं और तंत्र आँख मूँदकर बैठा हुआ है।केंद्र सरकार के निर्देशों के बावजूद नाम काटने की प्रक्रिया लंबित है। जिले में करीब 3.85 लाख कार्डधारकों में से पाँच हजार से अधिक अपात्र लोगों की पहचान होना बड़ा मुद्दा माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते कार्डों की शुद्धिकरण प्रक्रिया पूरी नहीं की गई तो पात्र गरीब परिवारों तक राहत सामग्री पहुँचना और मुश्किल हो जाएगा।प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, कई स्तरों पर दबाव और विभागीय ढिलाई इस कार्रवाई में सबसे बड़ी बाधा है। जिला प्रशासन ने अब आपूर्ति विभाग से पुनः रिपोर्ट तलब की है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
-ये हैं विसंगतियां
नाम कटने की प्रक्रिया अटकी
हजारों अपात्र उपभोक्ताओं की पहचान होने के बावजूद सूची अपडेट नहीं
कई कार्डधारक महीनों से नोटिस का जवाब भी नहीं दे रहे
विभागीय कर्मियों की भूमिका पर सवाल
-फैक्ट फ़ाइल
जिले में राशन दुकानों की संख्या: 1008
कुल कार्डधारक: 3,85,153
अपात्र पाए गए कार्डधारक: लगभग 5,000
