संस्कारधानी से छिनी राष्ट्रीय पहचान, स्पीड पोस्ट हब डाउनग्रेड करने पर आक्रोश

 


संगठनों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी, जनप्रतिनिधियों से की हस्तक्षेप की मांग

जबलपुर। डाक सेवाओं के राष्ट्रीय नेटवर्क में जबलपुर की भूमिका कमजोर करने वाले फैसले से शहर में नाराजगी बढ़ गई है। केंद्र सरकार के टॉप लेवल निर्देशों के बाद जबलपुर को नेशनल स्पीड पोस्ट हब की श्रेणी से डाउन्ग्रेड कर दिया गया है। यह आदेश 24 नवंबर से लागू हो गया है। इससे जबलपुर को अब प्रदेश के अन्य शहरों भोपाल, इंदौर या ग्वालियर के स्पीड पोस्ट हब पर निर्भर रहना पड़ेगा।

नाइंसाफी नहीं करेंगे बर्दाश्त

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नजपाण्डे के अनुसार, यह निर्णय सिर्फ प्रशासनिक बदलाव नहीं बल्कि शहर की सेवाओं पर बड़ा असर डालने वाला कदम है। लंबे समय से जबलपुर एक प्रमुख स्पीड पोस्ट हब के रूप में काम कर रहा था, जिससे पूरे महाकौशल क्षेत्र को सेवा मिलती थी। लेकिन हालिया आदेश ने शहर की इस महत्त्वपूर्ण पहचान को कमजोर कर दिया है।

पीएमओ से लगाई गुहार

नागरिक उपभोक्ता मंच, वरिष्ठ नागरिक संघ, महिला समिति, स्टेशन बैकवर्ड एसोसिएशन और पेंशनर समाज सहित कई संगठनों ने इस आदेश को जबलपुर के साथ अन्याय बताया है। इन सभी ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की है। संगठनों का कहना है कि शहरी जनप्रतिनिधियों की चुप्पी आश्चर्यजनक है। यदि वे समय रहते हस्तक्षेप करते तो जबलपुर की सेवाओं पर ऐसा असर नहीं पड़ता।

नेताओं से तुरंत हस्तक्षेप की मांग

संगठनों ने कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह, सांसद आशीष दुबे,सांसद विवेक तन्खा व सांसद सुमित्रा बाल्मीकि को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। लोगों का कहना है कि जबलपुर जैसे बड़े शहर को नीचे की श्रेणी में रखना न केवल अव्यवहारिक है बल्कि इससे क्षेत्रीय विकास पर भी असर पड़ेगा।

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